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देश में जनवरी के महीने से कोरोना महामारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान जारी है.
Covid-19 Vaccination India: देश में जनवरी के महीने से कोरोना महामारी के खिलाफ टीकाकरण अभियान जारी है. कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण सबसे बड़ा हथियार है. 1 मई से देशभर में 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन जारी है. हालांकि, लोगों में इस बात को लेकर दुविधा है कि वह कहां से टीका लगवा सकते हैं. और किस जगह उन्हें इसके लिए कितने पैसे देने होंगे. आइए इसके बारे में जानते हैं.
किन माध्यमों से चल रहा टीकाकरण?
देश में स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर्स और 45 साल से ज्यादा आयु के लोगों के लिए केंद्र सरकार मुफ्त टीकाकरण अभियान चला रही है. वहीं, 1 मई से 18 साल से 44 साल के लोगों के लिए वैक्सीनेशन शुरू हुआ है, जिसमें राज्य सरकार और निजी अस्पताल शामिल हैं. राज्य सरकारें, जहां इन लोगों को अभी मुफ्त में टीका लगा रही हैं. वहीं, निजी अस्पतालों में आपको इसके लिए पैसे देने पड़ेंगे.
केंद्र, राज्यों के लिए वैक्सीन की अलग-अलग कीमतें
देश में मौजूदा समय में तीन वैक्सीन- सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रूस की स्पूतनिक वी उपलब्ध है. कोविशील्ड राज्य सरकारों के लिए 300 रुपये प्रति डोज और निजी अस्पतालों के लिए 600 रुपये प्रति डोज में उपलब्ध है. कोवैक्सीन की राज्य सरकारों के लिए कीमत 400 रुपये प्रति डोज और निजी अस्पतालों के लिए कीमत 1200 रुपये प्रति डोज है.
निजी अस्पताल कोरोना वैक्सीन के लिए इसके लिए अपनी मर्जी से कीमत वसूल सकते हैं. यही वजह है कि अलग-अलग निजी अस्पतालों में वैक्सीन अलग-अलग कीमतों पर उपलब्ध है. कोविशील्ड के लिए दिल्ली एनसीआर के निजी अस्पताल 850 रुपये से लेकर 1050 रुपये तक कीमतें वसूल रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली का मूलचंद अस्पताल कोवैक्सीन के लिए 1800 रुपये प्रति डोज ले रहा रहा है. जबकि नोएडा में फोर्टिस अस्पताल इसके लिए 1250 रुपये ले रहा है. कई ग्रुप हाउसिंग सोसायटी भी निजी अस्पतालों के साथ मिलकर वैक्सीन लगवा रहे हैं. कई अस्पताल हाउसिंग सोसायटी में कैंप लगाकर टीकाकरण करने के लिए प्रति वैक्सीन 100 से 150 रुपये अतिरिक्त वसूल कर रहे हैं. यानी अस्पताल में जो वैक्सीन 900 रुपये में लगाई जा रही है, वही वैक्सीन सोसायटी में 1000 या 1050 रुपये में लगाई जा रही है. हालांकि सभी अस्पताल ऐसा नहीं कर रहे हैं.
वहीं रूस से आयात की गई वैक्सीन स्पुतनिक वी की बात करें, तो डॉ रेड्डीज़ इसे करीब 995 रुपये प्रति डोज की दर से मुहैया करा रही है. जिस अपोलो अस्पताल में फिलहाल ये वैक्सीन लगाई जा रही है, वो लोगों से इसके लिए 1195 रुपये वसूल कर रहा है. कुल मिलाकर हालत ये है कि वैक्सीन की कीमत तय करने के मामले में निजी क्षेत्र पूरी तरह स्वतंत्र है.
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45 से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए वैक्सीन की खरीद और सप्लाई का काम केंद्र सरकार कर रही है. अब तक सामने आई खबरों के मुताबिक कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों ही वैक्सीन केंद्र सरकार को लगभग 150 रुपये प्रति डोज की दर से मिल रही हैं, जिसे राज्य सरकारों के जरिए मुफ्त में लगाया जा रहा है. हालांकि 45 साल से ज्यादा उम्र के लोग भी अगर निजी अस्पताल में वैक्सीन लगवाएंगे तो उन्हें वही कीमत चुकानी पड़ेगी जो 18 से 44 साल वालों को अदा करनी पड़ रही है. 1 मई से पहले तक 45 साल से ज्यादा उम्र वालों को निजी अस्पताल में 250 रुपये में वैक्सीन लगाई जा रही थी, लेकिन यह सुविधा अब बंद हो चुकी है.
केंद्र और राज्य सरकारों के लिए वैक्सीन की अलग कीमतों और खरीदारी की पॉलिसी को लेकर विवाद भी हो रहा है. कई राज्यों की सरकारों ने यह मांग की है कि केंद्र वैक्सीन खरीदे और राज्यों को मुफ्त में दे. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने भी बुधवार को केंद्र सरकार की नई टीकाकरण नीति को पहली नजर में तर्कहीन और मनमानी भरी बताते हुए उस पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं.