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केंद्र ने कहा कि भारत बायोटेक की देश में विकसित कोवैक्सीन (Covaxin) क्लीनिकल ट्रायल मोड के बाहर है और अब इसे प्रतिबंधित इमरजेंसी में इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है.
केंद्र ने गुरुवार को कहा कि भारत बायोटेक की देश में विकसित कोवैक्सीन (Covaxin) क्लीनिकल ट्रायल मोड के बाहर है और अब इसे प्रतिबंधित इमरजेंसी में इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है. एक साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने कहा कि कोवैक्सीन को सार्वजनिक हित में इमरजेंसी की स्थिति में प्रतिबंधित इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई है. और दोनों कोविड-19 वैक्सीन भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा मैन्युफैक्चरिंग की गई कोविशील्ड के पास अब समान लाइसेंस स्टेटस है.
पॉल ने कहा कि दोनों कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सीन और कोविशील्ड के पास समान स्टेटस है. कोवैक्सीन अच्छी सुरक्षा के मामले में साबित हुआ है. केवल 311 व्यक्तियों को बेहद थोड़े साइड इफेक्ट्स थे. यह भारत के शोध और डेवलपमेंट उद्यम और विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यम की जीत है.
भारत के ड्रग नियामक ने 3 जनवरी को सार्वजनिक हित में इमरजेंसी की स्थितियों में कोवैक्सीन के प्रतिबंधित इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी. इसे क्लीनिकल ट्रायल मोड में खासतौर पर बड़ी सावधानी के तौर पर किया गया था, खासकर म्यूटेंट स्ट्रेन से संक्रमण के मामले में.
टीकाकरण का दूसरा फेज 1 मार्च से जारी
कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी डोज 13 फरवरी से लगानी शुरू की गई, जिनको पहली डोज मिलने के बाद 28 दिन पूरे हो चुके हैं. फ्रंटलाइन वर्कर्स (FLWs) का टीकाकरण 2 मार्च को शुरू हुआ. कोविड-19 टीकाकरण का दूसरा चरण 1 मार्च से शुरू हुआ, जिसमें 60 साल की उम्र से ज्यादा के लोगों और 45 से ज्यादा की उम्र के लोग, जिन्हें बताई गई कोई दूसरी बीमारी (co-morbid) की स्थिति है, उन्हें डोज दी जाएगी.
कंपनी ने जनवरी में कहा था कि कंपनी उसकी वैक्सीन लेने के बाद किसी गंभीर साइड इफेक्ट आने की स्थिति में मुआवजे का भुगतान करेगी. कंपनी को सरकार से 55 लाख डोज की सप्लाई की खरीदारी के लिए ऑर्डर मिला है. वैक्सीन लेने वाले लोगों द्वारा साइन किए गए कंसेंट फॉर्म में भारत बायोटेक ने कहा कि किसी बुरी घटना या गंभीर बुरी घटना की स्थिति में, आपको सरकारी नामित और प्रमाणित सेंटर या अस्पतालों में मेडिकल तौर पर स्टैंडर्ड केयर उपलब्ध कराई जाएगी.