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राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
Corona in Delhi: राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने लोगों से अपील की कि उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. उन्होंने रविवार को कहा कि शहर में कोविड-19 के मामले भले ही बढ़ रहे हों लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ये मामले कम गंभीर हैं और इनमें लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराने की जरूरत नहीं पड़ रही है. उनका यह प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में हुआ है जब दिल्ली में ओमिक्रॉन मामलों की संख्या बढ़कर 351 हो गई है. दिल्ली के यह आकंड़ें महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा हैं.
37,000 में से केवल 82 बेड हैं ऑक्यूपाइड : केजरीवाल
इस दौरान उन्होंने आंकड़ों पर बात करते हुए कहा कि वर्तमान में दिल्ली में पर्याप्त ऑक्सीजन बेड उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया, “दिल्ली में हमारे पास कुल 37,000 ऑक्सीजन बेड हैं, जिनमें से केवल 82 बेड ही ऑक्यूपाइड हैं. इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. इसके बजाय लोगों को नियमित तौर पर मास्क लगाना चाहिए और भीड़भाड़ वाली जगहों में जाने से बचना चाहिए.”
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मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "वर्तमान में, शहर में 6,360 मरीजों का इलाज चल रहा है और आज रविवार को 3,100 नए मामले सामने आ सकते हैं. सभी मामले हल्के हैं और उनमें से ज्यादातर मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत नहीं है.’’ उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बेड और ऑक्सीजन की कमी थी. मामलों में बढ़ोतरी के बावजूद, अस्पतालों में बिस्तर की जरूरत एक प्रतिशत से भी कम है और पिछले साल अप्रैल में आई कोरोना वायरस की घातक दूसरी लहर की तुलना में बहुत कम है.
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अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या घटी
केजरीवाल ने ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “29 दिसंबर, 2021 को जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उनकी संख्या करीब 2,000 रहने के बाद एक जनवरी को करीब 6,000 हो गई. लेकिन इस दौरान, अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या घटी है. 29 दिसंबर, 2021 को 262 बिस्तरों पर लोग भर्ती थे लेकिन एक जनवरी को यह संख्या घटकर महज 247 थी.” उन्होंने कहा कि पिछले साल 27 मार्च को दिल्ली में 6,600 उपचाराधीन मामले थे और 1,150 ऑक्सीजन बेड भरे हुए थे. उन्होंने कहा कि उस वक्त 145 मरीज वेंटिलेटर पर थे, और अब बस पांच हैं.