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Online Fraud: 3 साल में 39% भारतीय परिवारों के साथ हुआ फ्रॉड, ऑनलाइन पैसों की हुई ठगी

Online Fraud: लेटेस्ट सर्वे के अनुसार करीब 39 फीसदी भारतीय परिवार पिछले 3 साल के दौरान ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड का शिकार बने हैं.

Online Fraud: लेटेस्ट सर्वे के अनुसार करीब 39 फीसदी भारतीय परिवार पिछले 3 साल के दौरान ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड का शिकार बने हैं.

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FE Hindi Desk
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Cyber Fraud

Financial Fraud: देश में ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में लगातार तेजी आ रही है.

Online Financial Fraud Survey: देश में ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में लगातार तेजी आ रही है. इस बारे में एक लेटेस्ट सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. सर्वे के अनुसार करीब 39 फीसदी भारतीय परिवार पिछले 3 साल के दौरान ऑनलाइन फाइनेंशियल फ्रॉड का शिकार बने हैं. इनमें से सिर्फ 24 फीसदी को ही उनका पैसा वापस मिल पाया है. यह सर्वे लोकलसर्किल्स द्वारा की गई है, जिसे मंगलवार 2 मई 2023 को जारी किया गया है.

क्रेडिट या डेबिट कार्ड धोखाधड़ी

लोकलसर्किल्स द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि सर्वे में 23 फीसदी लोगों ने कहा कि वे क्रेडिट या डेबिट कार्ड धोखाधड़ी का शिकार बने हैं. वहीं 13 फीसदी का कहना था कि उन्हें खरीद, बिक्री और वर्गीकृत साइट यूजर्स द्वारा धोखा दिया गया. सर्वे के अनुसार, 13 फीसदी लोगों का कहना था कि वेबसाइट द्वारा उनसे पैसा ले लिया गया, लेकिन प्रोडक्ट नहीं भेजा गया.

ATM कार्ड धोखाधड़ी

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10 फीसदी ने कहा कि वे एटीएम कार्ड धोखाधड़ी का शिकार बने. अन्य 10 फीसदी ने कहा कि उनके साथ बैंक अकाउंट धोखाधड़ी की गई. वहीं 16 फीसदी ने बताया कि उनको कुछ अन्य तरीके अपनाकर ठगा गया. आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि सर्वे में शामिल 30 फीसदी परिवारों में से कोई एक सदस्य वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार बना है. वहीं 9 फीसदी ने कहा कि उनके परिवार के कई सदस्य इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार बने.

331 जिलों में हुआ सर्वे

57 फीसदी का कहना था कि वे और उनके परिवार का कोई भी सदस्य इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार बनने से बच गए. 4 फीसदी ने इस बारे में स्पष्ट रूप से अपनी राय नहीं बताई है. सर्वे में देश के 331 जिलों के 32,000 लोगों की राय ली गई. इनमें 66 फीसदी पुरुष और 34 फीसदी महिलाएं थीं. सर्वे में शामिल 39 फीसदी लोग पहली कैटेगिरी के शहरों से, 35 फीसदी दूसरी श्रेणी और 26 फीसदी तीसरी और चौथी कैटेगिरी के शहरों और ग्रामीण जिलों के थे.

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