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New Delhi Air Quality: डाक्टरों ने चिंता जाहिर की है कि एयर पॉल्यूशन से बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों और आंख संबंधी दिक्कतें बढ़ रही है. (PTI Photo)
Delhi Air Quality: दिल्ली NCR समेत आसपास के इलाकों में हवाओं में पॉल्यूशन के स्तर में मामूली गिरावट आई, लेकिन PM2.5 की सांद्रता अब भी WHO द्वारा तय हेल्थ लिमिट से करीब 80 गुना अधिक है. दिल्ली में शुक्रवार शाम 4 बजे AIQ 468 से कम होकर शनिवार सुबह 6 बजे तक 413 दर्ज किया गया. शहर में लगातार पांचवें दिन शनिवार को धुंध की एक घनी हानिकारक परत छायी हुई है. डाक्टरों ने चिंता जाहिर की है कि एयर पॉल्यूशन से बच्चों और बुजुर्गों में फेफड़ों और आंख संबंधी दिक्कतें बढ़ रही है.
दिल्ली- एनसीआर में कई जगहों पर PM2.5 की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक रही. यह वर्ल्ड कप ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ-WHO) द्वारा निर्धारित स्वस्थ सीमा (5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) से 80 से 100 गुना अधिक है. PM2.5 वे बारिक कण होते हैं जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं.
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इन वजहों से दिल्ली की एयर क्वालिटी में आई गिरावट
दिल्ली-एनसीआर में पारा गिरने, हवा के मंद पड़ने और पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के कारण पिछले हफ्ते से एयर क्वालिटी में गिरावट आनी शुरू हुई. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी-CPCB) के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई-AQI) 27 अक्टूबर और तीन नवंबर के बीच 200 अंक से अधिक बढ़ा है जिससे शुक्रवार को यह 'अत्यधिक गंभीर' (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन के स्टेज चार- 450 से अधिक AQI) कैटेगरी में पहुंच गया.
बहरहाल, शुक्रवार को शाम 4 बजे AIQ 468 से कम होकर शनिवार सुबह 6 बजे तक 413 दर्ज किया गया. शुक्रवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई (468) 12 नवंबर 2021 को दर्ज किए गए 471 एक्यूआई के बाद से सबसे अधिक दर्ज किया गया.
सबसे खराब एयर क्वालिटी वाली राष्ट्रीय राजधानियों में शामिल हुई दिल्ली
दिल्ली दुनिया में सबसे खराब गुणवत्ता वाली राष्ट्रीय राजधानियों में शामिल रही. ‘यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो’ के ‘एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट’ की एक रिपोर्ट में अगस्त में कहा गया कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र करीब 12 साल तक कम हो रही है. प्रदूषण के अति गंभीर श्रेणी में पहुंचने के कारण अनेक लोग सुबह की सैर और खेल समेत खुले में की जाने वाली अपनी गतिविधियों को टालने के लिए मजबूर हुए हैं. माता-पिता काफी चिंतित हैं क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे तेजी से सांस लेते हैं और अधिक प्रदूषक तत्व ग्रहण करते हैं. दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों के दौरान प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, पराली जलाने, पटाखे जलाने और अन्य स्थानीय प्रदूषक स्रोतों के कारण वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है.