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भारतीय संस्कृति में दिवाली के पहले आने वाले धनतेरस के मौके पर सोने-चांदी खरीदने की परंपरा रही है.
Dhanteras 2020 timings for buying gold: भारतीय संस्कृति में दिवाली के पहले आने वाले धनतेरस के मौके पर सोने-चांदी खरीदने की परंपरा रही है. इस शुभ मौके का साल भर लोग इंतजार करते हैं ताकि इस दिन बड़ी खरीदारी की जा सके. सोना-चांदी खरीदने की परंपरा के कारण धनतेरस के दिन बाजारों में भी रौनक रहती है. ऐसे में इस बार कोरोना महामारी और आर्थिक सुस्ती के चलते के कारण दुकानदारों के लिए इस बार धनतेरस राहत की उम्मीद बन कर आया है. मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना की जाती है.
दो दिन मना सकते हैं धनतेरस
इस बार धनतेरस दो दिन पड़ रहा है. इसलिए कुछ लोग इसे आज ही यानी 12 नवंबर को मना सकते हैं और कुछ लोग इसे कल यानी 13 नवंबर को मनाएंगे. ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम शंकर मिश्रा की मानें को धनतेरस को आज मना सकते हैं. हालांकि कुछ क्षेत्रों में इसे 13 नवंबर को मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य पंडित सुजीत श्रीवास्तव की मानें तो इस बार उदया तिथि के कारण इसे 13 नवंबर को मनाना उचित है.
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कब है शुभ मुहूर्त?
ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम शंकर मिश्रा का कहना है कि खरीदारी के लिए कोई खास शुभ मुहूर्त नहीं है, बल्कि आप इसकी खरीदारी दिन भर कर सकते हैं. हालांकि इस दिन होने वाली पूजा का शुभ मुहूर्त उन्होंने जरूर बताया है. उनके मुताबिक दिन में 11:40 से लेकर 12:40 के बीच पूजा की जा सकती है और शाम को 5:17 से 7:30 तक पूजा की जा सकती है.
13 नवंबर के शुभ मुहूर्त के बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित सुजीत श्रीवास्तव ने बताया कि यह सायंकाल 05:30 से 05:59 तक रहेगा. प्रदोष काल शाम 05:28 से रात्रि 08:08 तक है. इसके अलावा वृष काल सायं 05:30 से रात्रि 07:29 तक पूजा कर सकते हैं.
क्यों मनाया जाता है धनतेरस?
मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि जिस समय समुद्र मंथन हो रहा था, उसी समय भगवान धनवंतरि एक रत्न के रूप में समुद्र मंथन से बाहर आ गए थे. धनतेरस के शुभ अवसर पर धनवंतरि के साथ भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की आराधना भी की जाती है.
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है. भारत सरकार ने धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं, इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.