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दिवाली मनाने के पीछे कई कहानियां और परंपराएं प्रचलित हैं.
Diwali 2020 Puja Muhurat and Timing: आज रोशनी का त्योहार दिवाली है. यह हिंदुओं के सबसे प्रमुख और बड़े त्यौहारों में एक है. असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक के तौर पर मनाए जाने वाला यह त्यौहार न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस दिन पटाखे छोड़े जाते हैं, दोस्तों-रिश्तेदारों के यहां मिठाई भिजवाई जाती है. इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस खुशी के मौके पर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा होती है. आइए जानते हैं कि इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त कब है.
दिवाली के लिए चौघड़िया मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित सुजीत श्रीवास्तव के मुताबिक इस बार दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त इस प्रकार है. चौघड़िया चार घड़ी की होती है और यह लगभग 96 मिनट का होता है.
दोपहर 02:18pm से 04:06pm तक
सायं 05:29pm से रात्रि 07:06pm तक
रात्रि 08:46pm रात्रि 01:46 तक और
अगले दिन05:05 से 06:45 तक चौघड़िया का शुभ मुहूर्त है.
पूजन के लिए शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित सुजीत श्रीवास्तव के मुताबिक इस बार दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है.
प्रदोष काल 05:30 pm से 08:33pm
वृष काल 05:30pm से07:25pm
सिंह लग्न रात्रि12:32 से02 बजकर 20 मिनट तक
रात्रि में अघोरी या तांत्रिक लोग माता काली की आराधना करते हैं.
ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम शंकर मिश्रा के मुताबिक इस बार दिवाली माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की आराधना करने के लिए जो समय इस प्रकार है. उन्होंने बताया कि यह समय दिल्ली के लिए है. अगर बनारस की तरफ से कोई पूजा मुहूर्त का समय जानना चाहता है तो इसमें 20 मिनट कम करना होगा. समय में यह अंतर देशांतर के कारण है.
दिन में 12:57 से 02:29
संध्याकालीन 05:36 से 07:33
रात्रि में 11:34 से 02:18
दिवाली मनाने के पीछे कई कहानियां
भारतीय परंपरा में दिवाली का त्यौहार कब से आया, इसके पीछे कई कहानियां हैं, कई परंपराएं हैं.
- उसमें एक परंपरा के मुताबिक जब भगवान राम लंका नरेश रावण का वध कर और 14 साल के वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे तो उनके वापस आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था.
- इसके अलावा एक और कथा के मुताबिक इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर प्रजा को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. नरकासुर के आतंक से मुक्ति पाने पर द्वारकावासियों ने श्रीकृष्ण का दिए जलाकर स्वागत किया.
- एक और परंपरा के मुताबिक इस दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी निकली थीं. इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विवाह हुआ था.