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रजनीकांत ने रजनी मक्कल मंदरम को भंग किए जाने की भी जानकारी दी. इसके सदस्य रजनीकांत फैन क्लब एसोसिएशन के सदस्य बने रहेंगे जोकि सार्वजनिक सेवा में शामिल रहेगा.
Rajinikanth in Politics: तमिल फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत के राजनीति में प्रवेश को लेकर लगाए जा रहे कयासों पर आज विराम लग गया. सुपरस्टार रजनीकांत ने आज फैन्स के साथ बैठक से पहले कहा था कि वह रजनी मक्कल मंदरम के सदस्यों से भविष्य में राजनीति में प्रवेश को लेकर चर्चा करेंगे, हालांकि बाद में रजनीकांत ने कहा कि उनकी राजनीति में प्रवेश को लेकर कोई योजना नहीं है. उन्होंने रजनी मक्कल मंदरम को भंग किए जाने की भी जानकारी दी. इसके सदस्य रजनीकांत फैन क्लब एसोसिएशन के सदस्य बने रहेंगे जोकि सार्वजनिक सेवा में शामिल रहेगा.
Actor Rajinikanth says he would discuss with the office bearers of Rajini Makkal Mandram whether he would enter politics or not in the future, ahead of today's meeting with fans pic.twitter.com/3ByCVTbfYQ
— ANI (@ANI) July 12, 2021
छह महीने पहले राजनीति से बना ली थी दूरी
रजनीकांत ने करीब छह महीने पहले दिसंबर 2020 में राजनीति में नहीं आने का ऐलान किया था. इससे कुछ समय पहले उन्होंने राजनीति में प्रवेश की घोषणा की थी और कहा था कि वर्ष 2020 के अंत यानी 31 दिसंबर तक इससे जुड़ी घोषणाएं करेंगे लेकिन 29 दिसंबर को उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इससे दूरी बना ली. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में प्रवेश किए बिना भी वह लोगों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे. रजनीकांत ने जब यह फैसला लिया था, उससे कुछ दिनों पहले उन्हें एक तमिल फिल्म की शूटिंग के दौरान ब्लड प्रेशर की समस्या के चलते भर्ती कराया गया था. अस्पताल से डिस्चार्ज होने के दो दिन बाद उन्होंने राजनीति से दूर रहने का ऐलान किया था.
राजनीति से पहले भी रहा है नाता
ऐसा नहीं है कि दक्षिण भारतीय फिल्मों के महानायक रजनीकांत का प्रभाव पहली बार राजनीति में दिख रहा है. इससे पहले 1996 के तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर जयललिता की एआईडीएमके पार्टी दोबारा सत्ता में वापसी करती है तो इस राज्य को भगवान भी नहीं बचा सकता है. इसका प्रभाव यह हुआ कि तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता खुद अपनी सीट हार गई और उनकी पार्टी को 216 सीटों के नुकसान के साथ महज चार सीटें मिलीं और राज्य में 221 सीटों के साथ डीएमके के एम करुणानिधि की सरकार बनी. 2016 में जयललिता और 2018 में करुणानिधि के निधन के बाद तमिल राजनीति में एक शून्य सा बन चुका है. इसके बाद से ही लगातार रजनीकांत और कमल हसन के ऊपर लोगों की निगाहें बनी हुई थीं. कमल हसन इस साल तमिलनाडु चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं और वह जीत हासिल नहीं कर सके. वहीं दूसरी तरफ रजनीकांत ने इस साल 2021 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही राजनीति से दूर रहने का ऐलान कर दिया था.