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Dussehra 2023: दिल्ली की मशहूर लव-कुश रामलीला कमेटी की रामलीला में सोमवार को अभिनेता ने निभाई भगवान राम की भूमिका. (ANI Photo)
Vijaydashami History and Significance: दशहरा (Dussehra) सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इसे 'विजयदशमी' (Vijay Dashami) के नाम से भी जाना जाता है. भारतीयों के दिलों में इस त्योहार का विशेष स्थान है. दशहरा यानी विजयदशमी शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के नौ दिवसीय उत्सव और दुर्गा पूजा के चार या पांच दिवसीय उत्सव के समापन का प्रतीक है. आइए जानते हैं कि क्यों मनाया जाता है दशहरा या विजयदशमी, इसका इतिहास और महत्व.
क्यों मनाया जाता है दशहरा?
दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व प्राचीनकाल से ही मनाया जा रहा है. विजयदशमी के दिन का पौराणिक महत्व है, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत की मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने राक्षसों के राजा रावण और उसकी दुष्ट सेना लंबी लड़ाई के बाद हराया था. यह भी मान्यता है कि रावण वध के कारण दशहरा मनाया जाता है. दशमी को राम ने रावण का वध किया था. रावण का वध करने के बाद से ही यह उत्सव बुराई पर अच्छाई की ऐतिहासिक जीत की खुशी में इस दिन को विजय दशमी मनाया जाता है. इस दिन को विजय दिवस के तौर पर भी जाना जाता है.
इसके अलावा, दशहरा उस दिन का भी प्रतीक है जब देवी दुर्गा ने महिषासुर की दुर्जेय सेना का सामना किया और उसका सफाया कर दिया, अंततः भैंस के दानव का वध किया. पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला यह त्योहार अपने साथ बुराई पर अच्छाई की विजय का गहरा संदेश लेकर आता है.
दशहरा मनाने के लिए शुभ मुहुर्त
इस साल, दशहरा 24 अक्टूबर को पड़ रहा है. द्रिक पंचांग के अनुसार, शुभ पूजा का समय दशमी तिथि के भीतर शामिल होगा. यह तिथि 23 अक्टूबर की शाम को 5 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और 24 अक्टूबर की दोपहर को 3 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी.
विजयदशमी का महत्व
गौर करने वाली बात ये है कि भले ही दशमी और दशहरा अलग-अलग अनुष्ठान करते हैं, लेकिन वे बुराई पर अच्छाई की जीत के संदेश को अपने भीतर समेटे है. इस दिन, सड़कें जीवंत रामलीला प्रदर्शन के साथ जीवंत हो उठती हैं, खासकर देश के उत्तरी क्षेत्रों में. इस दौरान लोग गीत और नाटकों के जरिए भगवान राम के जीवन और वीरता को दर्शाते हैं. दशहरा से जुड़ी एक और मनोरम परंपरा देखने को मिलती है. जिसमें पुतलों का जताया जाता है, जो अधर्मी और राक्षसों की हार का प्रतीक है. दशहरे के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों को जलाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की शानदार जीत को रेखांकित करते हैं.
हालांकि, यह त्योहार पुरानी यादों को भी अपने साथ ले आता है. यह देवी दुर्गा और उनके दिव्य बच्चों - भगवान गणेश, भगवान कार्तिकेय, देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी की मूर्तियों के विसर्जन का प्रतीक है. इस खास मौके पर लोग अपने परिवार के सदस्यो, मित्रों, परिजनों और करीबियों को दशहरा (Happy Dussehra) या शुभो बिजोया (Shubho Bijoya) की हार्दिक शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं, जो बीत चुके वर्ष को दर्शाता है और उत्सुकता से भविष्य की प्रतीक्षा करता है.