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Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम पर ब्याज पर ब्याज से अगर राहत मिलती है तो लोनधारकों को कैसे फायदा होगा.
Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम पर ब्याज पर ब्याज देने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने 12 अक्टूबर तक नया हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था. इसके पहले पहले दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर 'ब्याज पर ब्याज' माफ करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि ब्याज पर जो राहत देने की बात की गई है, उसके लिए केंद्रीय बैंक द्वारा किसी तरह का दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया. इसलिए केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक से नए सिरे से हलफनामा दाखिल करने को कहा था.
लोन मोरेटोरियम मामले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि विभिन्न सेक्टर्स को पर्याप्त राहत पैकेज दिया गया है. मौजूदा महामारी के बीच सरकार के लिए संभव नहीं है कि इन सेक्टर्स को और ज्यादा राहत दी जाए. केंद्र ने इस बात पर भी जोर दिया कि 'वित्तीय नीतियों के मामले में कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.'
क्या है लोन मोरेटोरियम
कोरोना वायरस महामारी के दौर में देशभर में लॉकडाउन का एलान किया गया था. ऐसे में बहुत से लोगों की इनकम प्रभावित हुई. जिसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की सहूलियत दी थी. यानी लोन पर हर महीने भरी जाने वाली ईएमआई को टालने का विकल्प लोन धारकों को मिल गया था. यह सहूलियत 6 महीने के लिए मार्च से अगस्त 2020 के लिए दी गई थी. लेकिन जिन्होंने 3 महीने या 6 महीने का मोरेटोरियम लिया था, उन्हें इन अवधि के लिए आगे ब्याज पर ब्याज भरना होगा. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी. इसमें कहा गया कि अगर ब्याज पर ब्याज लेना है तो सुविधा देने का क्या फायदा. यह तो लोन धारकों पर दोहरी मार है.
सरकार ने राहत के दिए संकेत
पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि बैंक लोन मोरेटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे. वह मोरेटोरियम अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार है. यह राहत 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है. इसमें MSME, एजुकेशन, हाउसिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, कारोबार और उपभोग के लिए लिए गए कर्ज शामिल होंगे. इसके अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी ये ब्याज वसूली नहीं की जाएगी.
कितनी हो सकती है बचत
6 महीने के विकल्प पर: मान लीजिए कि आपने करीब 28 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए लिया है. इस पर ब्याज दर 8 फीसदी के आस पास है. मोरेटोरियम के पहले मंथली बनने वाली ईएमआई 25200 रुपये के करीब थी. वहीं मोरेटोरियम के पहले आप 12 किस्त चुका चुके हैं और 228 किस्तें बाकी हैं. अगर आपने 6 महीने का और विकल्प चुना तो अगस्त 2020 के बाद आपकी मंथली बनने वाली ईएमआई बढ़कर 26007 रुपये हो जाएगी. इस तरह से आपपर अतिरिक्त 1.84 लाख रुपये का भार बढ़ रहा है. लेकिन राहत मिली तो आपकी इतनी बचत हो सकती है. ईएमआई की बची अवधि 228 ही रहेगी.
3 महीने के विकल्प पर: उपर लिखे गए कंडीशन में अगर आपने पहले 3 महीने के लिए मोरेटोरियम का विकल्प चुना था तो यह ईएमआई मोरेटोरियम के बाद बढ़कर 25478 रुपये हो गई. यानी आपको अतिरिक्त 60 हजार रुपये के आस पास देना होगा.
(नोट: यह उदाहरण एचडीएफसी लिमिटेड द्वारा मोरेटोरियम के दौरान दिए गए विकल्प पर आधारित है.)
राहत के बाद क्या होगा
केंद्र सरकार की ओर से दी गई इस राहत का मतलब अब यह हुआ कि लोन मोरेटोरियम का लाभ ले रहे लोगों को अब सिर्फ लोन का सामान्य ब्याज देंगे. यानी कि अगर आपने 3 महीने का मोरेटोरियम लिया है तो पहले की तरह हर महीने 25000 रुपये के आस पास ईएमआई देते आगे रहेंगे. जिन 3 महीनों का आपने विकल्प लिया था, वे 3 ईएमआई आगे बढ़ जाएंगी. यह नियम 6 महीने के मोरेटोरियम पर भी होगा. 6 सामान्य ईएमआई बढ़ जाएंगी. यानी आपको अतिरिक्त ब्याज या अतिरिक्त ईएमआई नहीं देनी होगी.