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पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है.
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पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमणियन के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था आईसीयू में जा रही है. उन्होंने बुधवार को कहा कि भारत ‘गहरी आर्थिक सुस्ती’ में है. बैंकों व कंपनियों के लेखा-जोखा के जुड़वा-संकट की ‘दूसरी लहर’ के कारण अर्थव्यवस्था सघन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में जा रही है. सुब्रमणियन नरेंद्र मोदी सरकार के पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) रहे हैं. उन्होंने पिछले साल अगस्त में इस्तीफा दे दिया था.
सुब्रमणियन ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के भारत कार्यालय के पूर्व प्रमुख जोश फेलमैन के साथ लिखे गए नए शोध पत्र में कहा है कि भारत इस समय बैंक, बुनियादी ढांचा, एनबीएफसी और रियल एस्टेट जैसे 4 क्षेत्रों की कंपनियों के लेखा-जोखा के संकट का सामना कर रहा है. इसके अलावा भारत ब्याज दर और वृद्धि के प्रतिकूल चक्र में फंसी है.
यह साधारण सुस्ती नहीं
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय विकास केंद्र के लिए तैयार तकनीकी परचे के मसौदे में सुब्रमणियन ने लिखा कि निश्चित रूप से यह साधारण सुस्ती नहीं है. भारत में गहन सुस्ती है और अर्थव्यवस्था ऐसा लगता है कि आईसीयू में जा रही है. सुब्रमणियन ने दिसंबर, 2014 में दोहरे बही खाते की समस्या के प्रति आगाह किया था. उस समय वह नरेंद्र मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार थे. उन्होंने तब कहा था कि निजी कंपनियों पर बढ़ता कर्ज बैंकों की गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बन रहा है.
कर्ज NPA बन गए
अपने नए शोध पत्र को सुब्रमणियन ने दो भागों टीबीएस और टीबीएस-2 में बांटा है. टीबीएस-1 इस्पात, बिजली और बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए बैंक कर्ज के बारे में है. यह कर्ज निवेश में जोरदार तेजी के दौरान 2004-11 के दौरान दिया गया, जो बाद में एनपीए बन गया. टीबीएस-2 नोटंबदी के बाद की स्थिति के बारे में है. इसमें गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और रियल एस्टेट कंपनियों के बारे में है.
निवेश और निर्यात प्रभावित
सुब्रमणियन के अनुसार वैश्विक वित्तीय संकट से भारत की आर्थिक वृद्धि दर की रफ्तार सुस्त पड़ी है. अर्थव्यवस्था की वृद्धि में योगदान देने वाले दो इंजन निवेश और निर्यात प्रभावित हुए. एक और इंजन कंजम्पशन भी बंद हो गया है. इस वजह से पिछली कुछ तिमाहियों से वृद्धि दर नीचे आ गई है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर छह साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी पर आ गई है. यह लगातार छठीं छमाही है जबकि वृद्धि दर में गिरावट आई.