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Budget 2020: According to Former chief economic adviser Arvind Subramanian, income tax relief might have only limited impact on consumption, as only 5 per cent of population pays the tax.
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1 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 के लिये बजट पेश होने जा रहा है. बजट को लेकर उद्योग जगत से लेकर अर्थशास्त्रियों तक की अपनी उम्मीदें हैं. इस बजट में बहुत से लोग इनकम टैक्स में कटौती की भी मांग कर रहे हैं. पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहाकार अरविंद सुब्रमण्यन ने आने वाले केंद्रीय बजट में पर्सनल इनकम टैक्स में किसी बड़े बदलाव के विरोध में तर्क दिया है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप के आइडिया एक्सचेंज प्रोग्राम में कहा कि सरकार बजट में केंद्र के फाइनेंस की ईमानदार अकाउंटिंग को वापस लाए और राजस्व पर बोझ डालने वाले किसी प्रोत्साहन को देने से बचे.
उन्होंने कहा कि सरकार को कोई हैरान करने वाले और नाटकीय ऐलान करने के बजाय बजट में वास्तविक ओर मामूली लक्ष्य रखने चाहिये, जिसमें फिजकल कंसोलिडेशन पर कोई अनुचित दबाव न पड़े. सुब्रमण्यन के मुताबिक, इनकम टैक्स में कटौती का खपत पर सीमित असर होगा, क्योंकि कुल आबादी का सिर्फ 5 फीसदी ही टैक्स का भुगतान करता है.
पीएम किसान जैसी योजनाओं पर ध्यान देने की जरूरत: सुब्रमण्यन
पीएम किसान, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना या यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिये. उनके मुताबिक इससे ज्यादा लोगों को फायदा होगा जो इस समय दबाव में हैं और इससे डिमांड को भी प्रोत्साहन मिलेगा जिससे ग्रोथ में गिरावट रुकेगी. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय नीति में ढील न दे क्योंकि सरकार का कंसोलिडेटेड प्राइमरी डेफिसिट (वित्तीय घाटे में से ब्याज भुगतान घटाना) ज्यादा बना हुआ है और ब्याज दर जीडीपी ग्रोथ रेट से ज्यादा हो गई है. उन्हें संदेह है कि सरकार अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिये जल्दी और सही तरीके से खर्च करेगी. आर्थिक विकास दर वित्त वर्ष 2020 की दूसरी तिमाही में 4.5 फीसदी के निचले स्तर पर आ गई, जो वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही के बाद सबसे कम है.
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मौजूदा आर्थिक संकट को बताया गंभीर
अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट गंभीर है और कोई जादू की छड़ी मौजूद नहीं है जिससे शॉर्ट टर्म के लिये अर्थव्यवस्था में सुधार आ जाये. उन्होंने सुझाव दिया कि संरचनात्मक सुधार से शायद असर होगा. उनके मुताबिक इसमें कृषि और ऊर्जा सेक्टर में सुधार पर फोकस दिया जाना चाहिये. हालांकि पिछले कुछ महीनों से लगातार जीएसटी कलेक्शन लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया है, सुब्रमण्यन का मानना है कि जीएसटी टैक्स प्रणाली को कठोरता से दोष दिया जा रहा है.