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एक बार फोन में पेगासस आ गया तो इस पर यूजर से अधिक कंट्रोल पेगासस का हो जाता है.
Pegasus Project: वैश्विक स्तर पर एक इंवेस्टिगेटिव प्रोजेक्ट में अहम खुलासा हुआ है कि इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर ने भारत के 300 से अधिक मोबाइल फोन नंबर्स को टारगेट किया यानी कि इनकी जासूसी की गई. इस प्रोजेक्ट के तहत ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म द वायर ने रविवार को खुलासा किया कि इसमें दो केंद्रीय मंत्री, तीन विपक्ष के नेता, एक संवैधानिक पद पर बैठे शख्स और इंडियन एक्सप्रेस समेत कई मीडिया संस्थानों के 40 बड़े पत्रकार शामिल हैं. द वायर के मुताबिक लीक हुए ग्लोबल डेटाबेस में करीब 50 हजार टेलीफोन नंबर्स हैं और सबसे पहले फ्रांस की नॉन-प्रॉफिट फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल को यह डेटा मिला. एनएसओ ग्रुप के मुताबिक पेगासस को आतंकवाद व अपराध से लड़ने के उद्देश्य से सिर्फ सरकारी एजेंसियों को बेचा गया है लेकिन कई देशों में इसका इस्तेमाल लोगों की जासूसी करने के आरोप लगते रहे हैं.
पेगासस स्पाईवेयर को लेकर सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इससे पहले अगर किसी अनजान टेक्स्ट लिंक को क्लिक करते थे तो ही वायरस से फोन संक्रमित होता था लेकिन पेगासस जीरो-क्लिक वायरस है यानी कि यूजर के फोन में बिना क्लिक के वायरस फैल सकता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के बर्लिन स्थित सिक्योरिटी लैब के प्रमुख क्लाउिडो ग्वारनियरी ने द गार्जियन से बातचीत में बताया कि एक बार फोन में पेगासस आ गया तो इस पर यूजर से अधिक कंट्रोल पेगासस का हो जाता है. इसके अटैक के बाद एसएमएस, ई-मेल, वाट्सऐप चैट, फोन/वीडियो, इंटरनेट ब्राउजिंग हिस्ट्री, कांटैक्ट बुक, माइक्रोफोन और लोकेशन इत्यादि सभी जानकारी लीक होती हैं.
निजता पर हमले को लेकर गरमाई सियासत
केंद्र सरकार ने पेगासस के जरिए सरकारी निगरानी के आरोपों से इनकार किया है. केंद्र सरकार ने बयान में कहा है कि इससे पहले भी वाट्सऐप के जरिए पेगासस के प्रयोग के आरोप लगाए गए थे लेकिन उस समय भी रिपोर्ट्स में कुछ तथ्य नहीं था और सुप्रीम कोर्ट में वाट्सऐप समेत सभी पक्षों ने इसका खंडन किया था. केंद्र सरकार ने कहा है कि ये आरोप भारतीय लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं को बदनाम करने वाले प्रतीत होते हैं.
वहीं इस मामले को लेकर विपक्ष हमलावर रूख अपनाए हुए है. विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह गंभीर मामला है और निजता पर हमला है. विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है कि क्या भारत अब पुलिस स्टेट में बदल रहा है. इस मसले को मानसून सत्र में उठाए जाने को लेकर विपक्ष अभी विमर्श कर रहा है. राज्यसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर आनंद शर्मा के मुताबिक सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती है. कांग्रेस नेता ने सवाल उठाया है कि वे कौन सी एजेंसिया हैं जिन्हें यह मालवेयर मिला और वे कौन सी एजेंसियां है जिन्होंने इसे खरीदा है? सीपीआई के पार्लियामेट्री पार्टी लीडर बिनॉय विश्वम ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने भारत को सर्विलांस स्टेट में बदल दिया है. विश्वम ने संसद में एडजॉर्नमेंट मोशन के लिए नोटिस देने की बात कही है.
Zero-click Attack से कैसे हो सकता है बचाव?
- जीरो-क्लिक अटैक की पहचान करना बहुत मुश्किल है जिसके चलते इसे रोकना भी बहुत मुश्किल है. इस प्रकार के अटैक की पहचान इनक्रिप्टेड एनवॉयरमेंट्स में और मुश्किल हो जाता है. हालांकि यूजर एक काम ये कर सकते हैं कि सभी ऑपरेटिंग सिस्टम और सॉफ्टवेयर अपडेट रखें ताकि अधिकतम सुरक्षा मिल सके.
- गूगल प्ले या एप्पल के ऐप स्टोर के अलावा कहीं से भी कोई ऐप डाउनलोड कर इंस्टॉल न करें.
- एक साथ कई ऐप्स का प्रयोग और मेल या सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए एक ब्राउजर से दूसरे ब्राउजर स्विच न करें. विशेषज्ञों के मुताबिक यह सुविधाजनक नहीं है लेकिन यह अधिक सुरक्षित है.
(सोर्स: इंडियन एक्सप्रेस)