/financial-express-hindi/media/post_banners/rsq6gTBtnYOAjcrRwRTG.jpg)
गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना बंद हो सकती है.
PMGKAY: गरीबों के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना बंद हो सकती है. वित्त मंत्रालय के एक्सपेंडिचर विभाग का कहना है कि गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना सितंबर के बाद नहीं बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ता है. डिपार्टमेंट ने यह भी कहा कि हाई फूड सिक्योरिटी कवर के चलते पहले ही सरकारी खजाने के लिए गंभीर स्थिति बन चुकी है और अब जब कोरोना जा चुका है तो इसे चालू रखने की कोई जरूरत नहीं है. इस योजना से करीब 80 करोड़ लोगों को फायदा मिलता है.
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना पर इतना खर्च
केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के चलते करीब दो साल पहले 26 मार्च 2020 को इस योजना की शुरुआत की थी. इसकी मियाद समय-समय पर बढ़ाई जाती रही है. इस साल मार्च 2022 में केंद्र सरकार ने इसे छह महीने तक आगे बढ़ा दिया यानी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना सितंबर 2022 तक जारी रहेगी. सरकार ने मार्च 2022 तक इस योजना पर 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किए थे और अब सितंबर 2022 तक इस पर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है यानी कि इस योजना पर सरकार के करीब 3.40 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं.
इन वजहों से बिगड़ी सरकारी खजाने की स्थिति
अपनी मासिक रिपोर्ट में एक्पेंडिचर डिपार्टमेंट ने कहा कि सरकार की माली हालत बेहतर नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को जारी रखने के फैसले, खाद सब्सिडी में तेज बढ़ोतरी के बोझ, रसोई गैस पर फिर से सब्सिडी शुरू करने, पेट्रोल व डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने और कई प्रोडक्ट्स पर कस्टम ड्यूटी के चलते राजकोषीय स्थिति सही नहीं है.
विभाग ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य जीडीपी के 6.4 फीसदी (16.61 लाख करोड़ रुपये) पर तय किया गया है जो ऐतिहासिक मानकों के हिसाब से बहुत अधिक है और इसका विपरीत असर दिख सकता है. पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.71 फीसदी पर था जो बेहतर टैक्स रेवेन्यू के दम पर संशोधित आकलन 6.9 फीसदी से कम रहा.
(Input: PTI)