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AIIMS के डॉक्टरों की सरकार से गुहार, संस्थान का नाम न बदलें, वरना मिट जाएगी पहचान

बीते गुरुवार को FAIMS द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे गए लेटर के मुताबिक संस्थान के सभी फैकल्टी मेंबर्स और डॉक्टर्स दिल्ली एम्स समेत बाकी सभी शाखाओं का नाम बदले जाने के पक्ष में नहीं है.

बीते गुरुवार को FAIMS द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे गए लेटर के मुताबिक संस्थान के सभी फैकल्टी मेंबर्स और डॉक्टर्स दिल्ली एम्स समेत बाकी सभी शाखाओं का नाम बदले जाने के पक्ष में नहीं है.

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FE Hindi Desk
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Dr. Srinivas will replace Dr. Randeep Guleria whose tenure as the head of the country's premier health institute will end today. (File)

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी एम्स (AIIMS) के डॉक्टरों ने केन्द्र सरकार से गुहार लगाया है कि दिल्ली समेत सभी 23 संस्थानों का नाम न बदला जाए. दरअसल नाम बदल जाने से पहचान मिटने की बात कही जा रही है. सरकार द्वारा संस्थान का नाम चेंज किए जाने वाले प्रस्ताव पर फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स (FAIMS) ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर अपनी चिंता जताई है. FAIMS ने अपने पत्र के जरिए स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि एम्स का नाम चेंज करने से इस संस्थान की पहचान मिट जाएगी. बीते गुरुवार को FAIMS द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे गए लेटर के मुताबिक संस्थान के सभी फैकल्टी मेंबर्स और डॉक्टर्स दिल्ली एम्स समेत संस्थान के सभी शाखाओं का नाम बदले जाने के पक्ष में नहीं है. हाल ही में फैकल्टी एसोसिएशन ऑफ एम्स ने देश के सभी 23 AIIMS को नए नाम दिए जाने के सरकार के प्रस्ताव पर इन संस्थानों से जुड़े फैकल्टी मेंबर्स की राय भी जुटा चुके हैं.

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1956 में हुई थी एम्स की स्थापना

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स्वास्थ्य मंत्रालय को दिए पत्र में FAIMS ने लिखा है कि दिल्ली एम्स को मेडिकल एजुकेशन, रिसर्च और सभी मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए एक खास मिशन के तहत 1956 में बनाया गया था. एम्स की पहचान उसके नाम से जुड़ी है. अगर यही खो गई तो देश और दुनिया में एम्स की इंस्टीट्यूशनल रिकॉग्निशन भी मिट जाएगी. एसोसिएशन ने ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का जिक्र करते हुए लिखा है कि सदियों पहले बने इन सभी मशहूर संस्थानों के नाम आज भी वहीं है और ये सभी अपने नाम की वजह से देश और दुनिया में जाने जाते हैं. FAIMS ने स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि अगर सरकार का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो सम्मानित मेडिकल इंस्टीट्यूट AIIMS की पहचान को भारी नुकसान होगा. साथ ही संस्थान को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और ऐसे में मनोबल गिर जाएगा.

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नियुक्ति और रिफार्म की भी है मांग

FAIMS ने स्वास्थ्य मंत्रालय से अनुरोध किया है कि एम्स का नाम बदले जाने वाले किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार न किया जाए. ऐसा करके ही इस प्रीमियर सस्थान के छवि को बरकरार रखा जा सकेगा. साथ ही देश में इस स्थान से जुड़े अन्य लोगों के साथ और सभी संस्थानों के बीच दिल्ली एम्स के मेंटर इंस्टीट्यूट स्टेटस को बनाए रखने में मदद मिल सकेगी. इस पत्र के जरिए FAIMS ने दिल्ली एम्स में लंबे समय से लंबित पड़े ऑटोनॉमी इन-कैंपस एकोमोडेशन संबंधी नियुक्ति और एडमिनिस्ट्रेशन रिफार्म का मुद्दा भी स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने रखा है. दरअसल स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकल या रीजनल नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों, ऐतिहासिक घटनाओं या क्षेत्रीय स्मारकों या फिर खास भौगोलिक पहचान के आधार पर दिल्ली समेत सभी 23 AIIMS को विशेष नाम दिए जाने वाले प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया है.

(इनपुट : पीटीआई)

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