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दवा खरीदने निकलें तो रहें बेहद सावधान! बाजार में बिक रही नकली चीजों में मेडिसिन और FMCG प्रोडक्ट्स की है भरमार

ASPA की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, हरियाणा, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा में नकली चीजों की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है.

ASPA की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, हरियाणा, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा में नकली चीजों की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है.

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The relative consumption of Watch antibiotics in India is nowhere close to Japan’s 83%, the highest clocked, but India’s 65% showing earned it the second spot in terms of indiscriminate consumption of these antibiotics.

The relative consumption of Watch antibiotics in India is nowhere close to Japan’s 83%, the highest clocked, but India’s 65% showing earned it the second spot in terms of indiscriminate consumption of these antibiotics.

The State of Counterfeiting in India 2021: अपने देश में नकली सामानों की बिक्री हर साल करीब 20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रही है. कम से कम पिछले तीन साल से तो देश का यही हाल है. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि बाजार में बिकने वाले नकली सामानों में एक बड़ा हिस्सा दवाओं और रोजमर्रा के जरूरत की चीजों यानी FMCG प्रोडक्ट्स का भी है. इसलिए भलाई इसी में है कि दवाएं खरीदते समय बेहद सावधान रहा जाए, ताकि जिंदगी बचाने वाली दवाएं कहीं खतरे को और बढ़ा न दें. देश में नकली सामानों की बिक्री के बारे में ये चौंकाने वाली जानकारियां ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (ASPA) की ताजा रिपोर्ट में दी गई है.

साल 2021 में भारत में नकली सामानों की स्थिति (The State of Counterfeiting in India 2021) के नाम से जारी ASPA की रिपोर्ट के मुताबिक देश के जिन इलाकों में नकली चीजों की सबसे ज्यादा भरमार है, उनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड सबसे आगे हैं. इनके अलावा हरियाणा, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा भी नकली सामानों की सप्लाई बड़े पैमाने पर हो रही है.

महामारी की आपदा में नक्कालों ने खोजा 'अवसर'

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रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी के कारण दवाओं, हाइजिन से जुड़े उत्पादों और हेल्थ सप्लीमेंट्स की मांग में अचानक बढ़ोतरी हो गई, जिसका फायदा उठाकर बाजार में नकली उत्पादों की घुसपैठ और बढ़ गई. इस तरह के नकली सामानों की बिक्री ने महामारी पर काबू पाने के काम में लगे स्वास्थ्यकर्मियों, मरीजों, फ्रंटलाइन वर्कर्स और आम लोगों की जिंदगियों को खतरे में डालने का काम किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक जिन चीजों के बाजार में नकली सामानों की सबसे ज्यादा भरमार हो गई है, उनमें दवाओं के अलावा FMCG प्रोडक्ट, अल्कोहल और तंबाकू प्रमुख हैं. इनके अलावा नकली करेंसी भी जालसाजों की सक्रियता का बड़ा क्षेत्र है. रिपोर्ट के मुताबिक नकली चीजों का करीब 84 फीसदी हिस्सा इन्हीं पांच सेक्टर्स से जुड़ा है.

कोविड-19 के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान जिन नकली चीजों की सप्लाई सबसे तेजी से बढ़ी उनमें दवाओं के अलावा नकली शराब, तंबाकू से बने उत्पाद, पीपीई किट्स और सैनिटाइजर शामिल हैं. ASPA के अध्यक्ष नकुल पसरीचा के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान इन चीजों की मांग अचानक काफी बढ़ी, जिसके कारण उनमें नकली सामानों की सप्लाई की गुंजाइश भी तेजी से बढ़ गई.

नकली चीजों से अर्थव्यवस्था को भी होता है नुकसान

ASPA की इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन साल के दौरान देश में नकली सामानों की बिक्री में सालाना 20 फीसदी की रफ्तार से हो रही बढ़ोतरी न सिर्फ लोगों की सेहत और उनकी जिंदगी के लिए खतरा है, बल्कि इसकी वजह से देश की अर्थव्यस्था को भी भारी नुकसान हो रहा है.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि नकली सामानों की बिक्री दुनिया भर में एक बड़ी समस्या है. दुनिया भर के 38 देशों के संगठन OECD के आंकड़ों के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में नकली चीजों की हिस्सेदारी करीब 3.3 फीसदी है. लेकिन अपने देश में यह परेशानी कुछ ज्यादा ही गंभीर रूप लेती जा रही है.

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