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केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से किसान आंदोलनरत हैं और अब वैश्विक वित्तीय संस्थान आईएमएफ ने इन कानूनों का समर्थन किया है.
वैश्विक वित्तीय संस्थान इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) ने मोदी सरकार की तरफ से हाल में लागू कृषि कानूनों का समर्थन किया है. आईएमएफ का कहना है कि भारत में कृषि सुधारों को लेकर यह एक महत्वपूर्ण कदम है. हालांकि आईएमएफ का यह भी कहना है कि भारत सरकार को उन लोगों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनानी चाहिए जिन पर इन कानूनों से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. आईएमएफ के डायरेक्टर ऑफ कम्युनिकेशंस गेरी राइस का कहना है कि इन कानूनों से बचैलियों की भूमिका कम होगी और क्षमता बढ़ेगी. एक कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि भारत में कृषि सुधारों को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. दूसरी ओर, कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों का धरना-प्रदर्शन जारी है. किसान नेता कानून वापस लिये जाने की मांग पर अड़े हैं. वहीं, देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले को सुलझाने के लिए एक समिति का गठन किया है.
प्रभावित किसानों के लिए रोजगार की वकालत
राइस के मुताबिक नए कृषि कानूनों से किसानों की सेलर्स तक सीधा संपर्क बनेगा और मिडिलमैन की भूमिका कम होगी. मिडिलमैन की भूमिका कम होने से किसानों का मुनाफा बढ़ेगा और इसे ग्रामीण इलाकों की ग्रोथ को सहारा मिलेगा. कृषि बिल के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि एक नए सिस्टम को अपनाने (ट्रांजिशन) से जिन लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को नीति लेकर आना चाहिए. इसके लिए राइस ने रिफॉर्म से प्रभावित लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए जाने की वकालत की है.
राइस का कहना है कि इन रिफॉर्म्स से कितना ग्रोथ बेनेफिट्स मिलेगा, यह इस पर निर्भर करेगा कि इसे किस समय पर और कितने प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है. ऐसे में राइस ने कहा है कि सरकार को रिफॉर्म के साथ इसे भी ध्यान रखना चाहिए.
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कृषि कानूनों के खिलाफ जारी है किसान आंदोलन
केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली बॉर्डर पर पिछले कुछ दिनों से लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इनमें से अधिकतर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं. किसानों की मांग है कि इन कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द किया जाए और उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन राशि (MSP) की कानूनी गारंटी दी जाए. इन कृषि कानूनों को पिछले साल सितंबर 2020 में लागू किया गया था ताकि किसानों को अपनी फसल को देश भर में कहीं भी और बिना किसी बिचौलिये के बेचने की अनुमति मिले. हालांकि किसानों ने आशंका जताई है कि इससे एमएसपी और मंडी (होलसेल मार्केट) की व्यवस्था खत्म हो सकती है और उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया पर छोड़ देगा.