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NHRC on Farmer Protest: मानवाधिकार आयोग ने किसान आंदोलन के 'बुरे असर' पर केंद्र और राज्यों को भेजा नोटिस, कांग्रेस ने कहा, अपनी भूमिका की विकृत व्याख्या कर रहा NHRC

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्र और दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को नोटिस जारी करके लंबे समय से जारी किसान आंदोलन के 'दुष्प्रभाव' और इस बारे में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्र और दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को नोटिस जारी करके लंबे समय से जारी किसान आंदोलन के 'दुष्प्रभाव' और इस बारे में की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है.

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Farmer Protest national human rights commission sends notice to centre and four state governments

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्र और दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्र और दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों को किसान आंदोलन के कथित 'बुरे असर' को लेकर नोटिस जारी किया है. इसमें कहा गया है कि लंबे अरसे से जारी किसान आंदोलन का औद्योगिक इकाइयों और परिवहन पर बुरा असर पड़ रहा है, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है.

आयोग ने चारों राज्यों के मुख्य सचिवों के अलावा यूपी, हरियाणा और राजस्थान के डीजीपी और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को इस बारे में नोटिस भेजे हैं. इन नोटिस में सभी अफसरों से पूछा गया है कि इस सिलसिले में उन्होंने अब तक क्या कार्रवाई की है? इसके साथ ही आयोग ने इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ (IEG) और दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क से भी किसान आंदोलन के दुष्प्रभावों के बारे में रिपोर्ट देने को कहा है.

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कांग्रेस पार्टी ने मानवाधिकार आयोग के इस कदम की कड़ी आलोचना की है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरदीप सिंह सप्पल ने ट्विटर पर लिखा है, "संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार चार्टर के अनुच्छेद 20 में कहा गया है : 'शांतिपूर्ण सभा और संगठन की स्वतंत्रता का अधिकार हर किसी को है.' लेकिन भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अपनी भूमिका की विकृत व्याख्या करते हुए पुलिस को शांतिपूर्ण सभा के 'बुरे प्रभावों' पर नोटिस भेज रहा है!"

मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों के आला अधिकारियों को भेजे नोटिस में कहा है कि किसान आंदोलन की वजह से औद्योगिक इकाइयों पर बुरा असर पड़ने के आरोप लग रहे हैं. इस आंदोलन की वजह से नौ हजार से ज्यादा सूक्ष्म, मध्य और बड़ी कंपनियों पर गंभीर तौर पर असर पड़ा है. आयोग के नोटिस के मुताबिक किसान आंदोलन का परिवहन पर भी बुरा असर पड़ा है, सड़कों पर भारी जाम से राहगीरों, मरीजों, शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों और वरिष्ठ नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि लोगों को मौजूदा किसान आंदोलन और सीमाओं पर लगे बैरिकेडों की वजह से अपने कामकाज की जगहों और घरों तक पहुंचने के लिए ज्यादा लंबा सफर तय करना पड़ रहा है.

नोटिस में कहा गया है कि किसानों द्वारा प्रदर्शन स्थल पर कोरोना नियमों के उल्लंघन का भी आरोप है. इसमें यह भी कहा गया है कि प्रदर्शन की जगह के आसपास रहने वाले लोगों को रास्ते बंद होने की वजह से अपने घरों से बाहर निकलने में दिक्कत हो रही है.

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आयोग ने इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ (IEG) से कहा है कि वो किसान आंदोलन की वजह से औद्योगिक उत्पादन, ग्राहकों और परिवहन सेवाओं पर पड़ने वाले बुरे असर की पड़ताल करके विस्तृत रिपोर्ट पेश करे. इस रिपोर्ट में आंदोलन की वजह से बढ़ी परेशानियों के साथ ही साथ उद्योगों और अन्य लोगों पर पड़ने वाले अतिरिक्त खर्च का ब्योरा देने को भी कहा गया है. आयोग ने यह रिपोर्ट 10 अक्टूबर तक सबमिट करने को कहा है.

इसके साथ ही आयोग ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ सोशल वर्क से भी कहा है कि वो अपनी टीमें भेजकर यह सर्वेक्षण करे कि लंबे समय से जारी किसान आंदोलन की वजह से लोगों की जिंदगी, उनकी रोजी-रोटी और बुजुर्गों-विकलांगों की हालत पर क्या बुरा असर पड़ा है. आयोग ने दिल्ली स्कूल ऑफ सोशल वर्क से इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है. हालांकि इसके साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि शांतिपूर्ण आंदोलन करना भी मानव अधिकारों के तहत आता है, जिसका सम्मान किए जाने की जरूरत है, इसलिए उसने कुछ और कदम भी उठाए हैं.

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