/financial-express-hindi/media/post_banners/yYNGDYl3ItVx5lQVEmUd.jpg)
सरकार और किसानों के बीच नौंवे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है. अगले दौर की बैठक 19 जनवरी को होगी.
सरकार और किसानों के बीच नौंवे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही है. अगले दौर की बैठक 19 जनवरी को होगी. विरोध कर रही किसान यूनियनें केंद्रीय मंत्रियों के साथ बातचीत के दौरान तीनों कानूनों की पूरी वापसी की मांग पर टिकी रही. जबकि सरकार ने उनसे रवैये में और ढ़िलाई की मांग की. किसान नेता जोगिंदार सिंह ने बैठक के बाद कहा कि यूनियनों ने सरकार से कानूनों पर वापस लेने की मांग की, लेकिन केंद्र ने इसमें असहमति जताई. उन्होंने बताया कि उन्होंने 19 जनवरी को दोपहर 12 बजे दोबारा मिलने का फैसला लिया.
पांच घंटे लंबी चली बैठक
उन्होंने कहा कि किसान यूनियनों ने पंजाब में ट्रांसपोर्टर्स पर NIA रेड का मुद्दा भी उठाया, जो किसानों के आंदोलनों का समर्थन कर रहे हैं और आंदोलन के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध करा रहे थे. बैठक करीब पांच घंटे चली, जिसमें एक लंच ब्रेक भी शामिल था. किसान यूनियनों ने कहा कि वे तीन कृषि कानूनों पर एक महीने से ज्यादा लंबे समय से बने डेडलॉक का समाधान करने के लिए सीधी बातचीत जारी रखने पर प्रतिबद्ध है. सुप्रीम कोर्ट ने इसका समाधान करने के लिए एक कमेटी भी बनाई है.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान नेताओं से उनके रवैये में ढ़ीले होने की अपील की. तोमर के अलावा रेलवे, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश भी सरकार की ओर से करीब 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में बातचीत का हिस्सा थे.
ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑरडिनेशन कमेटी की सदस्य ने कहा कि सरकार और किसान यूनियनों दोनों ने सीधी बातचीत की प्रक्रिया को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता को दोबारा जाहिर किया.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड ऊंचाई पर, 586 अरब डॉलर के पार पहुंचा
दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन जारी
केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं. राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में भीषण ठंड के अलावा पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश और प्रदर्शन स्थल पर जलजमाव के बावजूद किसान अपनी मांग पर डटे हुए हैं. सितंबर 2019 में लागू नए कृषि कानूनों के बारे में केंद्र सरकार का कहना है कि इससे कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी. लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसानों को आशंका है कि इन कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था कमजोर होगी और वे बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे.