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इस बीच, 26 जनवरी को किसान संगठन राजधानी में ट्रैक्टर रैली निकालने पर अड़े हैं. (File Image: PTI)
Farmers' Protest: कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के बीच विज्ञान भवन में शुक्रवार को 11वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा समाप्त हो गई. इस बार की बैठक में दोनों पक्षों अपनी-अपनी बातों पर अड़े रहे, जिसके चलते आगे की बातचीत का रास्ता भी फिलहाल अटक गया है. अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं की गई है. किसान संगठनों के नेता कानूनों को वापस लेने और गारंटीड एमएसपी की मांग पर अड़े हुए हैं. वहीं सरकार ने भी साफ कर दिया है कि पिछली बैठक में कृषि कानूनों को डेढ़ साल के लिए निलंबित करने के दिए प्रस्तावों पर किसान संगठन विचार करे तब ही आगे की बातचीत होगी. किसान संगठनों ने अब विरोध प्रदर्शन और तेज करने की चेतावनी दी है. साथ ही यह भी कहा कि 26 जनवरी ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी.
केंद्र सरकार कृषि कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है. पिछली बैठक में सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि कानूनों को अगले डेढ़ साल के लिए निलंबित कर दिया जाएगा और एक संयुक्त समिति मिलकर मसले का समाधान निकालेगी. लेकिन, किसान नेताओं ने एकसुर में इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है. सरकार की तरफ से बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल रहे. नए कृषि कानूनों पर किसान संगठनों का कहना है कि इससे मंडी और एमएसपी खरीद सिस्टम खत्म हो जाएगा और किसानों को बड़े औद्योगिक घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा. जबकि, सरकार ने इन आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया है.
किसान और देशहित में हमारा प्रस्ताव: कृषि मंत्री
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार शाम कहा कि अक्टूबर से सरकार और किसानों के बीच बातचीत जारी है. 11 दौर की बातचीत हो चुकी है. एक दौर की बातचीत अधिकारियों के साथ हुई. कृषि बिलों को किसानें के फायदे के लिए संसद से पारित किया गया है. आंदोलन खासकर पंजाब और कुछ अन्य राज्यों की ओर से किया जा रहा है. तोमर ने कहा कि सरकार ने प्रदर्शन समाप्त कराने के लिए कई प्रस्ताव दिए लेकिन आंदोलन की शुचिता खत्म हो जाए तो कोई समाधान संभव नहीं है. सरकार ने हमेशा कहा कि वह विकल्पों पर विचार करने के लिए तैयार है. हमारा प्रस्ताव किसानों और देशहित में है.
'अब आंदोलन को और तेज करेंगे'
किसान नेताओं का कहना है कि वह अब आंदोलन को और तेज करेंगे. उनका आरोप है कि सरकार का रवैया बैठक में उचित नहीं था. करीब पांच घंटे की मीटिंग में दोनों पक्ष 30 मिनट से कम समय के लिए ही आमने सामने बैठे. बैठक की शुरुआत में ही किसान नेताओं ने बता दिया कि उन्होंने सरकार के प्रस्ताव को खारिज करने का निर्णय किया है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत तीन कैबिनेट मंत्रियों ने किसान नेताओं से उने रुख पर दोबारा विचार करने के लिए कहा. इसके बाद दोनों पक्ष लंच के लिए चले गए. किसान संगठन के नेताओं ने अपने लंगर का खाना खाया. इस दौरान 41 किसान संगठनों के नेताओं ने आपस में विचार-विमर्श भी किया.
मीटिंग के बाद भारतीय किसान यूनियन उग्रहण, नेता जोगिंदर सिंह उग्रहन ने कहा कि वार्ता रुक गई क्योंकि संगठनों की तरफ से सरकारी प्रस्ताव खारिज कर दिया था. सूत्रों के अनुसार, मंत्रियों ने कहा कि उन्होंने सभी संभव विकप्ल सामने रख दिए हैं. संगठनों को आपस में मिलकर कानून निलंबित करने के प्रस्ताव पर चर्चा करनी चाहिए. तोमर ने किसाना नेताओं से कहा कि सरकार की तरफ से अगली बैठक तभी होगी जब किसान नेता प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहेंगे. कृषि मंत्री ने किसान नेताओं का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि कानून में कोई समस्या नहीं है. बावजूद इसके आंदोलन कर रहे किसानों के सम्मान के लिए कानून निलंबित करने का प्रस्ताव दिया गया है.
26 जनवरी को निकलेगी ट्रैक्टर रैली
सबसे पहले मीटिंग से बाहर आने वाले किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि चर्चा में आगे की कोई बातचीत नहीं हुई. सरकार ने संगठनों से उसके प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने के कहा. कक्का ने बताया कि वो कुछ व्यक्तिगत कारणों के चलते मीटिंग से सबसे पहले निकल गए. किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि हमने सकरार से कहा कि कानून वापस लेने के अलावा हम किसी अन्य बात पर सहमत नहीं होंगे.
भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि हमने अपना पक्ष स्पष्टता के रख दिया कि बिना कानून वापस लिये आगे की कोई बात नहीं होगी. मंत्री ने प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने के लिए कहा है. टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी. इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
किसान मजदूर संघर्ष समिति के एसएस पंधेर का कहना है कि मंत्री ने करीब साढ़े तीन घंटे इंतजार कराया. यह किसानों का अपमान है. जब वह वार्ता के लिए आए उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने के लिए कहा और कहा कि वह बैठक की प्रक्रिया समाप्त कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने बनाई है कमिटी
सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के लागू करने पर रोक लगाते हुए इस मामले को सुलझाने के लिए एक चार सदस्यीय कमिटी का गठन किया था. इसमें भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने शीर्ष अदालत की कमिटी से अलग कर लिया. इसके अलावा इस समिति में शेतकारी संगठन महाराष्ट्र प्रेसिडेंट अनिल घानवत और कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी व अशोक गुलाटी तीन अन्य सदस्य हैं. कमिटी ने गुरुवार से सभी पक्षकारों के साथ मिलकर बातचीत शुरू कर दी है.
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