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According to the Kisan Sabha, cultivators from 21 districts in Maharashtra had joined the "vehicle march" to Delhi.
Farmers Protest: केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन गुरुवार को 15वें दिन भी जारी है. अभी तक सरकार और किसानों के बीच सहमति नहीं बन सकी है. भारतीय कृषि यूनियन के बलबीर सिंह राजेवल के मुताबिक केंद्र सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है कि इन कानूनों को कारोबारियों के लिए बनाया गया है. अगर कृषि राज्य का विषय है तो केंद्र को इस विषय पर कानून बनाने का अधिकार नहीं है. बलबीर सिंह ने यह बात कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बयान पर कही, जिसमें उन्होंने कहा कि कृषि राज्य का विषय है लेकिन ट्रेड पर केंद्र सरकार कानून बना सकती है. इससे पहले प्रेस कांफ्रेंस में तोमर ने कृषि बिल से जुड़ी सभी आशंकाओं पर सरकार का रुख स्पष्ट किया.
किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से 10 दिसंबर तक किसानों की समस्याएं सुनने और कानूनों को रद्द करने को कहा गया था और अगर ऐसा नहीं हुआ तो रेलवे ट्रैक ब्लॉक करने की चेतावनी दी गई थी. बूटा सिंह के मुताबिक आज की बैठक में यह फैसला किया गया है कि देश भर में लोग रेलवे ट्रैक को ब्लॉक करेंगे और संयुक्त किसान मंच इस संबंध में जल्द ही तारीख निर्धारित कर इसकी घोषणा करेगी. आज कृषि मंत्री ने किसानों को समझाने की कोशिश की कि कृषि कानूनों पर उन्हें बरगलाया जा रहा है और कानून उनके हक में है.
The Central government has admitted that the laws have been made for traders. If agriculture is State subject, they do not have the right to make laws regarding it: Balbir Singh Rajewal, Bhartiya Kisan Union (R)#FarmLawshttps://t.co/mjH9zAqbExpic.twitter.com/E0DZMpQDlk
— ANI (@ANI) December 10, 2020
कृषि मंत्री ने कानून से जुड़ी हर आशंका पर रखी बात
प्रेस कांफ्रेंस में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से कृषि कानूनों को रद्द करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोई भी कानून पूरी तरह डिफेक्टिव नहीं होता है और सरकार किसानों के हित को प्रभावित करने वाले प्रावधानों पर बातचीत के लिए तैयार है. उन्होंने किसानों से कहा है कि अगर वे केंद्र के प्रस्ताव पर बातचीत करना चाहते हैं तो सरकार इसके लिए तैयार है.
- न्यूनतम समर्थन राशि (एमएसपी) के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि इन कानूनों से एमएसपी का कुछ लेना-देना नहीं हैं. इनसे एमएसपी पर कुछ प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री और उन्होंने खुद एमएसपी के जारी रहने का भरोसा दिलाया है.
- कृषि मंत्री ने कहा कि लोगों को भड़काया जा रहा है कि किसानों की जमीन इंडस्ट्रियलिस्ट हथिया लेंगे. कांट्रैक्ट फॉर्मिंग गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक में लंबे समय से जारी है लेकिन अब तक वहां ऐसा कुछ हुआ नहीं है. इसके बावजूद कानून में ऐसे प्रावधान है कि प्रोसेसर्स और किसान के बीच सिर्फ फसल को लेकर एग्रीमेंट होगा, जमीन को लेकर नहीं. नए कृषि कानूनों के मुताबिक अगर किसी एग्रीमेंट के तहत प्रोसेसर्स को किसान के खेत में किसी फसल के लिए कोई इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप करना पड़ा तो एग्रीमेंट पूरा होने के बाद प्रोसेसर्स उसे हटाएगा. कृषि मंत्री ने कहा कि अगर प्रोसेसर ऐसा नहीं करता है तो उस इंफ्रास्ट्रक्चर का कानूनन मालिक किसान हो जाएगा.
- कृषि मंत्री ने कहा कि कई लोगों का कहना है कि मौजूदा कृषि कानून वैध नहीं है क्योंकि कृषि राज्य का विषय है और केंद्र इस पर कानून नहीं बना सकती है. हालांकि इस पर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके पास ट्रेड पर कानून बनाने का अधिकार है. एपीएमसी और एमएसपी पर इन कानूनों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
- सरकार किसानों को अपनी फसल कहीं भी और किसी को भी बेचने की स्वतंत्रता देना चाहती है. मंडी के बाहर अपनी फसल का भाव भी किसान खुद तय कर सकेंगे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कुछ लोगों की चिंता इस बात को लेकर है कि किसानों को अपनी फसल प्राइवेट मार्केट में बेचने के लिए बाध्य किया जाएगा लेकिन ऐसा कोई प्रावधान कानून में है ही नहीं.
भारतीय किसान संघ से जुड़े हुए मंजीत सिंह का कहना है कि सरकार किसानों के आंदोलन को कमजोर करना चाहती है लेकिन इस आंदोलन से जुड़ने के लिए अधिक से अधिक किसान दिल्ली आ रहे हैं. बता दें कि कल किसान नेताओं ने देश भर के किसानों को दिल्ली आने के लिए कहा है. मंजीत सिंह ने दिल्ली के लोगों से समर्थन भी मांगा है. वहीं दूसरी तरफ एक केंद्रीय मंत्री ने आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान की बात कह एक नया विवाद शुरू कर दिया है.
बुधवार को केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को किसानों ने पूरी तरह खारिज कर दिया है. केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों में संशोधन के लिए लिखित प्रस्ताव भेजा था लेकिन किसान यूनियन ने पूरी तरह इसे खारिज कर दिया. किसानों ने चेतावनी दी है कि 14 दिसंबर को देश भर में प्रदर्शन होंगे. उन्होंने दिल्ली को जोड़ने वाले राजमार्गों को भी बंद करने की चेतावनी दी है.
नॉर्दर्न रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशंस ने इस बीच कहा है कि किसान आंदोलन के चलते कुछ ट्रेन कैंसल रहेंगी या उन्हें डाइवर्ट किया जाएगा या शॉर्ट टर्मिनेटेट या शॉर्ट ओरिजिनेटेड किया जाएगा. इसका मतलब हुआ कि कुछ ट्रेनें तो पूरी तरह रद्द रहेंगी और कुछ ट्रेनों के ओरिजिन या डेस्टिनेशन स्टेशंस में बदलाव कर उनकी दूरी कम की गई है.
केंद्रीय मंत्री के बयान पर विवाद शुरू
किसान आंदोलन को लेकर एक केंद्रीय मंत्री के बयान पर विवाद शुरू हो गया है. केंद्रीय मंत्री रावसाहब दंवे ने औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में कहा कि आंदोलन किसानों का नहीं है, इसमें चीन और पाकिस्तान का हाथ है. इस बयान पर शिवसेना का प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि अगर केंद्रीय मंत्री को किसान आंदोलन के पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ होने की जानकारी है तो रक्षा मंत्री को तुरंत इन देशों पर सर्जिकल स्ट्राइक करना चाहिए. इसके अलावा राउत ने कहा कि इस मसले पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और सेनाओं के प्रमुख को गंभीरता से बातचीत के लिए कहा है. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री बच्चू काडू का कहना है कि पिछली बार जब दन्वे ने इस प्रकार का विवादित बयान दिया था तो उनके घर का घेराव किया गया था. इस बार उन्होंने (दन्वे ने) ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है कि उनके घर में घुसकर उन्हें पीटना पड़ेगा.
If a Union minister has information that China & Pakistan have a hand behind farmers agitation, then, the Defence Minister should immediately conduct a surgical strike on China & Pak. The President, PM, HM & Chiefs of the Armed Forces should discuss this issue seriously: S Raut https://t.co/1GagzoaTHApic.twitter.com/ImIVdNiJVY
— ANI (@ANI) December 10, 2020
ऑल इंडिया किसान सभा के आम सचिव हन्ना मोल्लाह ने दन्वे के बयान को किसानों का अपमान बताया और कहा कि किसानों अपने हक के लिए लड़ रहे हैं.
आम सहमति से सरकार का प्रस्ताव हुआ खारिज
किसान नेता शिव कुमार कक्का का कहना है कि वे सभी निर्णय सर्वसम्मति से लेते हैं और यह आपसी तालमेल की बात है, बहुमत की नहीं. ऐसा नहीं है कि कोई एक शख्स विरोध और कुछ समर्थन में है. कक्का ने ये भी कहा कि सभी किसान नेताओं में कोई भिन्नता नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सभी किसान संघों ने कानून रद्द करने की मांग रखी है तो यह सभी का निर्णय है, इसमें किसी का व्यक्तिगत विचार नहीं है.
14 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन
एक दिन पहले किसान नेताओं ने सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया. केंद्र ने किसानों को नए कृषि कानूनों में सुधार और एमएसपी सिस्टम जारी रखने का लिखित में आश्वासन दिया था. हालांकि किसानों की मांग है कि इन कानूनों को रद्द किया जाए. किसानों ने अब 14 दिसंबर को देश भर में प्रदर्शन की चेतावनी दी है. इससे पहले 8 दिसंबर को देश में किसानों के 'भारत बंद' आह्वान पर जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे.
इसके अलावा किसानों ने चेतावनी दी है कि दिल्ली को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा. किसानों ने चेतावनी दी है कि 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा हाईवेज को ब्लॉक किया जाएगा. इसके अलावा 14 दिसंबर को बीजेपी के कार्यालयों व मंत्रियों का घेराव किया जाएगा और पार्टी नेताओं का बॉयकॉट किया जाएगा. देश भर के किसानों को दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया है. 14 दिसंबर को दिल्ली को जोड़ने वाले सभी मार्गों को बंद करने की चेतावनी दी गई है.
We will block Delhi-Jaipur highway by 12th December: Farmer leaders at Singhu (Delhi-Haryana border)#FarmLawshttps://t.co/YvWMeVdxW5
— ANI (@ANI) December 9, 2020
किसानों की मांग को लेकर राष्ट्रपति से मिले विपक्ष
एक दिन पहले किसानों की मांग को लेकर विपक्ष से पांच नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति रामनाथा कोविंद से मिलने पहुंचा. इस प्रतिनिधि मंडल में कोरोना प्रोटोकॉल के कारण पांच सदस्य थे. इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, डी राजा, सीपीआई (एम) के आम सचिव सीताराम येचुरी और टीकेएस एलनगोवान शामिल थे. इन लोगों ने राष्ट्रपति से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की जिसके कारण किसान लगातार बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं.
A delegation of Opposition leaders comprising Shri Sharad Pawar, Shri Rahul Gandhi, Shri D. Raja, Shri Sitaram Yechury and Shri T.K.S. Elangovan called on President Ram Nath Kovind at Rashtrapati Bhavan and presented a memorandum. pic.twitter.com/YEUbFLCpx4
— President of India (@rashtrapatibhvn) December 9, 2020
शिरोमणि अकाली दल ने किसानों का किया समर्थन
किसानों द्वारा सरकार के प्रस्ताव को खारिज किए जाने का शिरोमणि अकाली दल ने समर्थन किया है. अकाली दल का आरोप है कि यह प्रस्ताव 'नई बोतल में पुरानी शराब' जैसी थी. केंद्र सरकार ने किसानों को सात मुद्दों पर संसोधन के प्रस्ताव भेजे थे. शिरोमणि अकाली दल इससे पहले केंद्र में बीजेपी की सहयोगी थी और वह भी एनडीए सरकार का हिस्सा थी. कृषि कानूनों के खिलाफ अकाली दल ने केंद्र की एनडीए सरकार से नाता तोड़ लिया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने ट्वीट किया कि पांच महीने से किसानों के लगातार प्रदर्शन, 6 मैराथन बैठक और दिल्ली की कड़ाके की ठंड में 15 रातें गुजारने के बाद भी केंद्र को उनका दर्द समझ नहीं आया. केंद्र ने पुरानी शराब को नई बोतल में परोस कर पेश किया था. किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर सही किया.
5 months' non-stop protests, 6 marathon meetings, 15 nights spent in chill on Delhi roads by Annadata pleading with GoI to withdraw #AntiFarmerActs but their pain goes unfelt! Centre packaged old wine in new bottle. Farmers have rightly rejected the proposal & SAD stands by them. pic.twitter.com/4Hgu7or0Dw
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) December 9, 2020
किसान बातचीत के लिए तैयार
बीकेयू नेता जगमोहन ने कहा कि किसान नेता अभी भी बातचीत के लिए तैयार हैं, अगर सरकार बुलाती है. हालांकि उन्होंने कहा है कि उनकी मांगे पूरी होनी चाहिए. अब यह एक बड़ा आंदोलन बन चुका है और अब वे सभी अपने गांव खाली हाथ नहीं लौट सकते हैं. किसानों द्वारा प्रस्ताव खारिज किए जाने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अगले कदम के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने गए. 8 दिसंबर को बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने स्पष्ट कर दिया था कि कानून रद्द नहीं होंगे, उसमें संशोधन जरूर हो सकते हैं. शाह से जब पूछा गया कि सरकार से कानून बनाने से पहले किसानों से उनकी राय क्यों नहीं ली तो उन्होंने माना कि कुछ गलतियां हो चुकी हैं और अब पिछली बातों को देखने से कोई फायदा नहीं है.
केंद्र ने किसानों को दिए थे ये प्रस्ताव
- किसानों की इस चिंता पर कि नए कानूनों से मंडी सिस्टम कमजोर होगा, सरकार ने संशोधन प्रस्ताव किया था. इसके तहत सरकार ने कहा था कि राज्य सरकार मंडी के बाहर कारोबारियों को रजिस्टर कर सकती है. इसके अलावा राज्य टैक्स और सेस भी लगा सकती है जैसा कि एपीएमसी (एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी) के मामले में लगाया जाता है. एमएसपी को लेकर सरकार ने कहा था कि इसे जारी रखने को लेकर वह लिखित में आश्वासन देने को तैयार है.
- कृषि कानून के तहत विवाद की स्थिति में एसडीएम के स्तर पर अपील की जा सकती है लेकिन अब केंद्र ने कहा है कि वह इसमें संशोधन कर सिविल कोर्ट्स में अपील करने का प्रावधान कर सकती है.
- इसके अलावा नए कानूनों को तहत यह आशंका है कि बड़े कॉरपोरेट किसानों की जमीन पर कब्जा कर सकते हैं. इसे लेकर सरकार ने कहा है कि कानून में यह पूरी तरह स्पष्ट किया गया है लेकिन इसे और स्पष्ट करने के लिए कह रही है कि खरीदार खेती की जमीन पर कोई भी लोन नहीं लेने का प्रावधान किया जा सकता है.
- इलेक्ट्रसिटी एमेंडमेंट बिल 2020 को खारिज किए जाने की मांग को लेकर सरकार ने कहा कि किसानों के लिए वर्तमान इलेक्ट्रिसिटी बिल पेमेंट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा.
- किसानों की मांग है कि एनसीआर ऑर्डिनेंस 2020 के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट को रद्द किया जाए. इसके तहत पराली जलाने पर जुर्माने का प्रावधान है. सरकार ने इस मुद्दे पर कहा कि वह बेहतर समाधान खोजने के लिए तैयार है.