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Farmers from across the country have been protesting at borders.
Farmers Protest: नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के नेताओं और सरकार के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही है. दोनों पक्षों के बीच मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई. अब अगली बैठक 5 दिसंबर को होगी. बैठक के बाद आजाद किसान संघर्ष समिति के हरजिंदर सिंह तांडा ने कहा कि हमारी उम्मीदें बरकरार हैं. कानून गलत हैं. उन्होंने कहा कि बातचीत में थोड़ी प्रगति हुई है. अगली बैठक में हम सरकार पर दबाव बनाएंगे. उन्हें कहना ही होगा कि वे कानून वापस ले रहे हैं.
बैठक के बाद वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि चर्चा के प्वॉइंट तैयार कर लिए गए हैं. 5 दिसंबर को उन प्वॉइंट्स पर बातचीत होगी और हमें उम्मीद है कि उस दिन आंदोलन खत्म हो जाएगा. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन अपने चरम पर है. दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का आज आठवां दिन है. किसानों का कहना है कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गई तो आंदोलन और जोर पकड़ेगा. 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घराने के खिलाफ पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे.
कई मुद्दों पर हुई बात
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि मुद्दा नए कानूनों को पूरी तरह वापस लेने का है. केवल एक मुद्दे पर नहीं बल्कि कई मुद्दों पर बातचीत हुई. किसान चाहते हैं कि नए कानून वापस लिए जाएं. सरकार चाहती है कि MSP और कानूनों में संशोधन पर बात हो. सरकार ने MSP पर संकेत दे दिए हैं. ऐसा लगता है कि MSP पर उनका पक्ष ठीक है. बातचीत थोड़ी आगे बढ़ी है.
मुद्दों का निश्चित ही होगा समाधान
बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बातचीत कर रही है और चर्चा में सामने आया मुद्दा निश्चित ही समाधान पर पहुंचेगा. इसलिए मैंने किसानों से अपील की है कि वे अपना आंदोलन खत्म करें ताकि दिल्ली के लोगों को उनके विरोध से हो रही परेशानी न हो. कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार इस बात पर विचार करेगी कि APMC मजबूत हुई हैं और उनका इस्तेमाल बढ़ा है. नए कानूनों में APMC के दायरे से बाहर की प्राइवेट मंडियों के लिए प्रावधान है. इसलिए हम प्राइवेट और APMC एक्ट दायरे में आने वाली दोनों तरह की मंडियों के लिए समान टैक्स रखने के बारे में भी विचार करेंगे.
सरकार खुले दिमाग से कर रही बातचीत
तोमर ने यह भी कहा कि कुछ मुद्दे पहले की बैठकों में उठाए गए और कुछ आज की बैठक में उठाए गए. किसान यूनियनें मुख्यत: इन्हीं को लेकर चिंतित हैं. सरकार में कोई अहंकार नहीं है, किसानों के साथ बातचीत खुले दिमाग से हो रही है. किसानों को चिंता है कि नए कानून APMC को खत्म कर देंगे.
आगे कहा कि यह मुद्दा उठाया गया कि अगर ट्रेड मंडी के बाहर होता है तो यह पैन कार्ड के आधार पर होगा, जो कि आज की तारीख में कोई भी आसानी से बनवा सकता है. इसलिए ट्रेडर को रजिस्टर होना चाहिए और हम यह सुनिश्चित करेंगे. नए कानून में प्रावधान है कि किसान अपनी शिकायतें एसडीएम कोर्ट ले जा सकते हैं. किसान यूनियनों को लगता है कि एसडीएम कोर्ट निचली अदालत है और उन्हें सीधे अदालत में जाने की इजाजत दी जानी चाहिए. सरकार इस मांग पर विचार करेगी. MSP को लेकर मंत्री ने एक बार फिर भरोसा दिलाया कि MSP पर खरीद जारी रहेगी.
प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण लौटाया
इधर किसानों के विरोध को समर्थन देते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण सम्मान लौटा दिया है. शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) चीफ और राज्यसभा के MP सुखदेव सिंह ढींढसा ने भी पद्म विभूषण अवॉर्ड लौटाने की घोषणा की है. गाजीपुर बॉर्डर (दिल्ली-यूपी बॉर्डर) पर नेशनल हाइव 24 पर भी किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं.
गंभीर हो सकते हैं हालात
बता दें कि इससे पहले मंगलवार को सरकार के साथ 35 किसान संगठनों की 3 घंटे की बातचीत हुई थी, लेकिन यह बेनतीजा रही. मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश मौजूद रहे थे. किसानों की मांग है कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाए और नए कृषि कानूनों को वापस ले. किसानों के इस आंदोलन का कई राजनीतिक दलों और संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है. इसमें टैक्सी और ट्रक यूनियन भी शामिल हैं. ऐसे में अगर बात चीत से हल नहीं निकलता है तो यह आंदोलन आगे और गंभीर रूप ले सकता है.
ट्रैफिक बुरी तरह से प्रभावित
किसानों के आंदोलन के चलते दिल्ली के अलग-अलग सीमाओं पर किसानों का जमावड़ा लगा है. जिसकी वजह से यातायात बुरी तरह से प्रभावित है. कुछ जगहों पर रूट डायवर्जन किए गए हैं जबकि कुछ जगहों पर बॉर्डर सील कर दिए गए हैं. नोएडा से दिल्ली जाने वाले रास्ते पर ट्रैफिक मूवमेंट अभी भी बंद है. DND वाले रास्ते पर भारी जाम लग रहा है. चिल्ला बॉर्डर को ट्रैफिक के लिए बंद किया गया है. वहीं, टिकरी और झाड़ौदा बॉर्डर भी सील है. किसान आंदोलन की वजह से सिंघु बॉर्डर को आज भी दोनों तरफ से बंद रखा गया है.
राजनीति भी तेज
किसान आंदोलन को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है. बीजेपी नेताओं ने किसान आंदोलन के हाईजैक होने का आरोप लगाया है. कुछ नेताओं ने इसमें असामाजिक तत्वों और टुकड़े-टुकड़े गैंग का हाथ होने की बात कही है. कुछ ने तो विदेशी ताकतों का भी हवाला दिया है. आंदोलन में खालिस्तान समर्थक नेताओं का हाथ भी होने की बात कही जा रही है.