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किसानों ने रविवार 10 मार्च को देशभर में रेल रोको अभियान चलाने का फैसला लिया है. (Image: Indian Express)
मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी एमएसपी (MSP) की कानूनी गारंटी सहित तमाम मांगों को लेकर अभी भी किसान पंजाब-हरियाणा से सटे शंभू, खनोरी बार्डर पर डटे हुए हैं. किसान नेताओं ने फैसला किया है कि बुधवार 6 मार्च को पूरी ताकत से अपना आंदोलन फिर से शुरू करेंगे और दिल्ली की ओर बढ़ेंगे. इसके अलावा किसानों ने रविवार 10 मार्च को देशभर में रेल रोको अभियान चलाने का फैसला लिया है. इस दौरान पंजाब-हरियाणा से सटे शंभू, खनोरी और डबवाली बॉर्डर पर किसानों का मोर्चा जारी रहेगा.
6 मार्च को दिल्ली आएंगे किसान
किसान मजदूर मोर्चा के को-ऑर्डिनेटर सरवन सिंह पंढेर ने 22 वर्षीय मृतक किसान शुभकरण सिंह के पैतृक गांव बलोह में श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. पंजाब के बठिंडा जिले में रविवार दोपहर पंढेर ने कहा कि 13 फरवरी को जब हम दिल्ली की ओर आगे बढ़ना चाहते थे तो हरियाणा सरकार ने हम पर आंसू गैस के गोले, रबर की गोलियां चलाईं. जब भी हमने आगे बढ़ने की कोशिश की, उन्होंने इसे जारी रखा. उन्होंने बताया कि 21 फरवरी को हमारे युवा साथी शुभकरण सिंह की हत्या कर दी गई. केंद्र सरकार हमें बार-बार कह रही हैं कि हम बिना ट्रैक्टर के दिल्ली में अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं. ऐसे में किसान संगठनों ने फैसला किया है कि 6 मार्च को पंजाब, हरियाणा सहित देशभर के किसान बस, ट्रेन या पैदल दिल्ली की ओर बढ़ेंगे. देखते हैं कि सरकार हमें पहुंचने देती है या नहीं.
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु के किसानों ने 13 फरवरी को दिल्ली पहुंचने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई और उन्हें बीच में ही रोक दिया गया, दिल्ली आ रहे किसानों को घरों में नजरबंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि हालांकि, शंभू और खनोरी बॉर्डर पर मोर्चा जारी रहेगा, वहीं डबवाली बार्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने की बात कही. पंढेर ने कहा कि हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.
10 मार्च को देशभर में होगा रेल रोको आंदोलन
सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि इतना ही नहीं 10 मार्च को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक देशभर में रेल रोको अभियान चलाया जाएगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बार-बार यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि मेरे और जगजीत सिंह दल्लेवाल के नेतृत्व वाले सिर्फ दो ही किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. ऐसे में 6 मार्च और 10 मार्च के विरोध प्रदर्शन से बताया जाएगा कि ये आंदोलन देशभर के किसानों का है और देश भर के 200 से अधिक किसान संगठन एमएसपी की कानूनी गारंटी मांग रहे हैं और वे इस आंदोलन का हिस्सा हैं. बता दें कि किसानों की मांग है कि उन्हें वो MSP दी जाए, जिसकी सिफारिश स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में की गई थी. इसके अलावा लखीमपुर खीरी घटना के आरोपियों को सजा, 60 साल की उम्र होने के बाद किसानों और मजदूरों को पेंशन देने जैसी और भी कई मांगें हैं.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि दिल्ली जाने का कार्यक्रम पहले की तरह है. दिल्ली जाने का कार्यक्रम न पीछे किया और न करेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को कैसे घुटनों के बल लाना है, इसके लिए कुछ रणनीति तय की हैं. डल्लेवाल के मुताबिक शंभू और खनोरी बॉर्डर में किसानों की संख्या बढ़ाई जाएगी. उन्होंने 6 मार्च को पंजाब, हरियाणा सहित देशभर के किसान संगठनों को बस, ट्रेन या पैदल दिल्ली की ओर आने की बात कही. डल्लेवाल ने भारत में 10 मार्च को दोपहर 12 बजे से 4 चार बजे तक पूरे देश के लोगों को ट्रेन रोको आंदोलन का आह्वान किया. अब देखना होगा कि सरकार इन किसानों को बैठने देती है या फिर बातें करती है.
#WATCH | Farmer leader Jagjit Singh Dallewal says, "...Our program to march to Delhi is as it is, we've not stepped back from it. It has been decided that we will increase our strength on the borders. On March 6, farmers will come to (Delhi) from all over the country by train,… pic.twitter.com/rRKmkQdlOC
— ANI (@ANI) March 3, 2024
पंढेर ने जोर देकर कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए शनिवार को जारी 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में भाजपा ने लखीमपुर खीरी से अजय मिश्रा टेनी को उम्मीदवार बनाया है और उनका बेटा किसानों की हत्या के लिए जिम्मेदार था वह खुद भी साजिश में शामिल हैं. ऐसे लोगों को टिकट देने किसानों के प्रति भाजपा सरकार की गंभीरता को दर्शाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने हम किसानों को पंजाब-हरियाणा से सटे बार्डर पर रोकने के लिए 70,000 से अधिक अर्धसैनिक बलों का इस्तेमाल किया, हमें दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए ड्रोन, गोलियों और एसएलआर का भी इस्तेमाल किया. वे हमें खालिस्तानियों के रूप में भी चित्रित कर रहे हैं. धर्म के नाम पर समुदायों के बीच दरार पैदा करना भाजपा-आरएसएस की नीति है. लेकिन एक समुदाय के रूप में किसान एकजुट हैं.