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रूस-यूक्रेन जंग के बीच फर्टिलाइज़र की कीमतों में तेजी की आशंका, रिपोर्ट में दावा- किसानों को राहत देने के लिए MSP बढ़ा सकती है सरकार

एनालिस्ट्स का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सरकार किसानों और कंपनियों को बढ़ी हुई लागत से राहत देने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) में बढ़ोतरी का फैसला कर सकती है.

एनालिस्ट्स का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सरकार किसानों और कंपनियों को बढ़ी हुई लागत से राहत देने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) में बढ़ोतरी का फैसला कर सकती है.

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Fertiliser prices may shoot up in Q4 due to Russia-Ukraine woes; govt may increase MSP, research report

आने वाले दिनों में उर्वरकों (Fertilisers) की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है.

रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग के चलते आने वाले दिनों में उर्वरकों (Fertilisers) की कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है. कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में उर्वरकों और कीटनाशकों की लागत 11 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाएगी. भारत अपने खाने की जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर है, लेकिन यूरिया और फॉस्फेट जैसे पोषक तत्वों के आयात के लिए रूस जैसे देशों पर निर्भर है. एनालिस्ट्स का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच सरकार किसानों और कंपनियों को बढ़ी हुई लागत से राहत देने के लिए मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) बढ़ाने का फैसला कर सकती है.

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उर्वरकों के आयात के लिए रूस पर निर्भर है भारत

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रूस दुनिया में उर्वरकों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. यूक्रेन के साथ चल रही जंग के बीच सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है, जिससे प्राकृतिक गैस की कीमतें बढ़ गई हैं, जो फर्टिलाइज़र मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक प्रमुख घटक है. भारत, अन्य देशों की तरह, इस आपूर्ति की कमी से प्रभावित हुआ है क्योंकि यह रूस और उसके सहयोगी बेलारूस से कच्चे माल और उर्वरकों के आयात पर निर्भर है. ICRA लिमिटेड ने एक रिपोर्ट में कहा कि बेलारूस से पोटाश और रूस से फॉस्फेटिक फर्टिलाइज़र प्राप्त करने की भारत की योजना रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अधर में लटक गई है.

आईसीआरए ने इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में कहा, "उर्वरकों की कमी कृषि क्षेत्र के लिए चिंता की बात है. इसका मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सीमित उपलब्धता और ऊंची कीमतों के बीच कम आयात है." मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में उर्वरक कच्चे माल की कीमतों में पिछले साल की तुलना में काफी तेजी आई है. एलारा कैपिटल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अमोनिया की कीमतें 200 फीसदी बढ़ी हैं, जबकि सल्फर और पोटाश की कीमतें सालाना आधार पर 100 फीसदी से ज्यादा बढ़ी हैं.

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सब्सिडी बढ़ा सकती है सरकार

इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "हम उम्मीद करते हैं कि आगामी NBS पॉलिसी में सब्सिडी उचित रूप से बढ़ाई जाएगी, ताकि मौजूदा स्तर पर फर्टिलाइज़र एमआरपी को बनाए रखा जा सके, जिससे कंपनियों के लिए उचित मार्जिन सुनिश्चित हो सके. अगर ऐसा नहीं किया गया तो कॉम्प्लेक्स फर्टिलाइज़र कंपनियां कीमतों में तेजी से वृद्धि कर सकती हैं.” कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज ने कहा कि सरकार को अलग-अलग फसलों के मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) में बढ़ोतरी करना पड़ सकता है ताकि इनपुट कॉस्ट में तेज वृद्धि की भरपाई की जा सके और कमजोर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सपोर्ट किया जा सके.

(Article: Aakriti Bhalla)

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