/financial-express-hindi/media/post_banners/VzPxy6bkNuOsgqMMTeK9.jpg)
Thai Airways has posted annual losses almost every year since the start of 2013.
/financial-express-hindi/media/post_attachments/YQSQNB00tcG0lQeww8vr.jpg)
Nirmala Sitharaman announcement for civil aviation sector: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आर्थिक पैकेज की चौथी किस्त को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. वित्त मंत्री का आज स्ट्रक्चरल रिफॉर्म पर फोकस रहा. इसमें कोल, डिफेंस के साथ वित्त मंत्री ने सिविल एविएशन सेक्टर के लिए भी एलान किए. सिविल एविएशन सेक्टर के लिए कुल 3 एलान किए गए हैं. इसमें पहला एयरलाइंस की लागत को काम करना है. सरकार ने भारतीय वायु क्षेत्र के उपयोग पर पाबंदियों को आसान करने का एलान किया है जिससे नागरिक विमानों को ज्यादा कुशल बनाया जा सके.
फ्यूल और समय भी बचेगा
भारतीय वायु क्षेत्र का केवल 60 फीसदी ही पूरी तरह उपलब्ध है. इस कदम से एविएशन सेक्टर को लगभग 1000 करोड़ रुपये सालाना का फायदा होगा. इससे वायुक्षेत्र का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा और इसके साथ फ्यूल का इस्तेमाल और समय भी बचेगा. इसका पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर होगा.
इसके अलावा सरकार ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के जरिए और वर्ल्ड क्लास एयरपोर्ट का एलान किया है. इसके तहत नीलामी के तीसरे राउंड के लिए 6 और एयरपोर्ट को रखा जाएगा. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने 6 में से 3 एयरपोर्ट को पीपीपी आधार पर ऑपरेशन और मेनटेनेंस के लिए नीलामी पर फैसला दे दिया है.
पहले दो राउंड से 13,000 करोड़ आने की उम्मीद
पहले राउंड में 6 एयरपोर्ट का सालाना रेवेन्यू 1000 करोड़ रुपये होगा. वर्तमान में सालाना 540 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है. एएआई को 2300 करोड़ रुपये की डाउन पेमेंट भी मिलेगी. दूसरे राउंड के लिए 6 और एयरपोर्ट की पहचान की गई है. इसके लिए नीलामी की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी. पहले और दूसरे राउंड में 12 एयरपोर्ट के निजीकरण से 13,000 करोड़ के अतिरिक्त निवेश आने की उम्मीद है.नीलामी के तीसरे राउंड के लिए 6 और एयरपोर्ट को रखा जाएगा.
तीसरा एलान भारत को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) के लिए ग्लोबल हब बनाने को लेकर किया गया है. MRO के इकोसिस्टम के लिए टैक्स प्रणाली में बदलाव कर उसे युक्तिसंगत किया गया है. इससे एयरक्राफ्ट कंपोनेंट रिपेयर और एयरफ्रेम मेंटेनेंस तीन साल में 800 करोड़ से बढ़कर 2000 करोड़ रुपये हो जाएगा. आने वाले सालों में दुनिया के बड़े इंजन मैन्युफैक्चर्स भारत में इंजन रिपेयर सुविधा को स्थापित करेंगे. एयरलाइंस के मेंटेनेंस का खर्च कम होगा.