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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के जिन बैंकों के निजीकरण की संभावना है, उनके कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा और सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. (File Pic)
Bank Privatisation: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के जिन बैंकों के निजीकरण की संभावना है, उनके कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा और सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने यह बात ऐसे समय कही है कि जब बैंकों के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में बैंक यूनियनों ने दो दिन की हड़ताल की है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के जवाब में उन्होंने साफ किया कि बैंकिंग क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र की मौजूदगी बनी रहेगी.
पब्लिक एंटरप्राइज पॉलिसी का एलान किया: सीतारमण
वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने पब्लिक एंटरप्राइज पॉलिसी का एलान किया है. इसके आधार पर उन्होंने उन चार क्षेत्रों की पहचान की है, जहां सरकार की मौजूदगी रहेगी. यह स्थिति वित्तीय क्षेत्र में भी रहेगी. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि वित्तीय क्षेत्र में भी वे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के रूप में मौजूद रहेंगे. सभी का निजीकरण नहीं होने जा रहा है.
सीतारमण ने कहा कि यहां तक कि जिन इकाइयों का निजीकरण होगा, सरकार यह सुनिश्चित करेगी ये निजी संस्थान काम करते रहें. निजीकरण के बाद, वे यह भी सुनिश्चित करेंगे कि जो भी कर्मचारी वहां काम कर रहे हैं, उनके हितों की पूरी तरह से रक्षा हो. वित्त मंत्री ने 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में एलान किया था कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का 2021-22 में निजीकरण का प्रस्ताव करती है.
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देश को एसबीआई के आकार के और बैंकों की जरूरत: सीतारमण
इसके लिए कानून में संशोधन की जरूरत होगी और उन्होंने संसद के मौजूदा बजट सत्र में संशोधन रखे जाने का प्रस्ताव किया था. बैंकों के नौ श्रमिक संगठनों ने बैंकों के निजीकरण के खिलाफ दो दिन (15 और 16 मार्च) की हड़ताल की. मंगलवार को हड़ताल का अंतिम दिन था. वित्त मंत्री ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का जिक्र किया और कहा कि देश को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के आकार के और बैंकों की जरूरत है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार चाहती है कि वित्तीय संस्थानों को और नकदी मिले और ज्यादा-से-ज्यादा लोग उसमें पैसा रखें ताकि इकाइयां सतत रूप से काम कर सके.
मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि इन वित्तीय संस्थानों के कर्मचारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें और उनके पास जो दशकों का अनुभव है, वे बैंकों को चलाने में इस्तेमाल करें. उन्होंने कहा कि यह निष्कर्ष निकालना कि सरकार हर बैंकों को बेचने जा रही है, सही नहीं है. सीतारमण ने कहा कि चाहे बैंक हो या फिर किसी अन्य इकाई का निजीकरण, जिन कर्मचारियों ने सालों अपनी सेवाएं दी हैं, उनके हितों की रक्षा की जाएगी. चाहे बात वेतन की हो या फिर उनके पद या फिर पेंशन की, सभी हितों का ध्यान रखा जाएगा.