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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा सरकार का मकसद टैक्स व्यवस्था को आसान बनाना है. (Image: ANI)
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि मौजूदा सरकार का मकसद टैक्स व्यवस्था को आसान बनाना है और फाइनेंस बिल में प्रस्तावित नए नियम से यह सुनिश्चित होगा कि मिडिल क्लास के लोग डिविडेंड के लिए कम भुगतान करें. सीतारमण ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह बात कही. इससे पहले उन्होंने पिछले हफ्ते पेश हुए बजट पर संवाद किया. इसमें अर्थशास्त्रियों, पेशेवरों और पत्रकारों ने भाग लिया. वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार टैक्स व्यवस्था को सरल बनाने की तरफ आगे बढ़ रही है.
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार डायरेक्ट टैक्स कोड समिति के ज्यादातर सुझावों को लागू करने की कोशिश कर रही है. सीतारमण ने कहा कि मिडिल क्लास का एक बड़ा हिस्सा डिविडेंड पर टैक्स का कम दर पर भुगतान करेगा. उन्होंने कहा कि इससे उनके पास ज्यादा पैसा रहेगा. इसके अलावा वित्त मंत्री ने LIC के आईपीओ पर कहा कि इससे ज्यादा पारदर्शिता आएगी.
80% करदाताओं के नई व्यवस्था अपनाने की उम्मीद: राजस्व सचिव
राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने भी शुक्रवार को कहा कि वित्त मंत्रालय को कम-से-कम 80 फीसदी करदाताओं के नई आयकर व्यवस्था अपनाने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में नई कर श्रेणी का प्रस्ताव किया गया. लेकिन इसे अपनाने पर करदाताओं को आवास ऋण ब्याज, अन्य कर बचत योजनाओं समेत मौजूदा छूट और कटौतियों का लाभ छोड़ना होगा.
पांडेय ने कहा कि उनका मानना है कि कम-से-कम 80 फीसदी लोग नई योजनाए अपनाएंगे. पांडेय ने कहा कि सरकार ने बजट से पहले 5.78 करोड़ करदाताओं का विश्लेषण किया था और पाया कि 69 फीसदी लोगों को नई व्यवस्था अपनाने पर बचत होगी जबकि 11 फीसदी ऐसे हैं जो पुरानी व्यवस्था को पसंद करते हैं.
बाकी बचे 20 फीसदी करदाताओं में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो कागजी काम से बचना चाहते होंगे और नई व्यवस्था अपनाने की इच्छा रखते हों. पांडेय ने कहा कि कंपनी कर में जब सितंबर में कटौती हुई तो उन्हें भी इसी प्रकार का विकल्प दिया गया और 90 फीसदी कंपनियों ने कम कर दर को लेकर छूट मुक्त व्यवस्था को अपनाया. उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग नई कर व्यवस्था को फायदेमंद पाएंगे.
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नई टैक्स प्रणाली के मुताबिक स्लैब
सरकार ने बजट में नई कर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है. इस व्यक्तिगत आयकर की नई व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की आय पर 5 फीसदी की दर से, 5 से 7.5 लाख रुपये पर 10 फीसदी, 7.50 से 10 लाख रुपये पर 15 फीसदी, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 फीसदीऔर 12.5 से 15 लाख रुपये की आय पर 25 फीसदी तथा 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 फीसदी की दर से कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है.