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सरकार का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) फरवरी के अंत में पूरे वर्ष के लक्ष्य के 135.2 फीसदी पर पहुंच गया. मुख्य रूप से राजस्व संग्रह धीमा होने से राजकोषीय घाटा बढ़ा है. राजकोषीय या वित्तीय घाटा सरकार के व्यय और राजस्व का अंतर होता है. मंगलवार को जारी लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़े के अनुसार निरपेक्ष रूप से राजकोषीय घाटा 10,36,485 करोड़ रुपये रहा.
फरवरी के दौरान कोरोना वायरस महामारी का कोई प्रभाव नहीं था. हालांकि जब सीजीए पूरे वित्त वर्ष का आंकड़ा जारी करेगा, इसका प्रभाव साफ दिखाई देगा. सरकार ने 2019-20 में राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 3.8 फीसदी या 7.1 लाख करोड़ रुपये रहने का लक्ष्य रखा है.
राजस्व प्राप्ति और खर्च का आंकड़ा
पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान का 134.2 फीसदी था. सीजीए के अनुसार सरकार की राजस्व प्राप्ति 2019-20 में 13.77 लाख करोड़ रुपये रही, जो संशोधित अनुमान का 74.5 फीसदी है. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 73.2 फीसदी थी. आंकड़े के अनुसार कुल व्यय संशोधित अनुमान का 91.4 फीसदी या 24.65 लाख करोड़ रुपये रहा. इससे पूर्व वित्त वर्ष की इसी अवधि में व्यय संशोधित अनुमान का 89.1 फीसदी था.
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कुल खर्च में पूंजी व्यय
कुल खर्च में पूंजी व्यय संशोधित अनुमान 87.5 फीसदी रहा, जो इससे पूर्व 2018-19 की इसी अवधि में 86.6 फीसदी था. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2019-20 के लिये राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूर्व के 3.3 फीसदी से बढ़ाकर 3.8 फीसदी कर दिया. राजस्व में कमी को देखते हुए राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बढ़ाया गया.