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The downturn has made the accuracy of credit ratings more crucial than ever to understand the capital position of the nation’s banks and keep another major one from requiring a bailout.
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अर्थव्यवस्था के लिहाज से भारत के लिए अच्छी खबर आई है. मौजूदा वित्त वर्ष में कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर दबाव रहेगा. मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की ग्रोथ रेट नेगेटिव रहेगी, लेकिन अगले वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था तेजी से बाउंसबैक कर सकती है. बुधवार को फिच रेटिंग्स के अनुमान के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष यानी FY22 में भारत की GDP की ग्रोथ रेट 9.5 फीसदी रह सकती है.
फिच रेटिंग्स ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के फाइनेंशियल सेक्टर की हालत अगर आगे और खराब ना हो तो ग्रोथ रेट में जबरदस्त तेजी आ सकती है. हालांकि कोरोनावायरस महामारी की वजह से फिस्कल ईयर 2020-21 में ग्रोथ रेट पर काफी दबाव है. इस फिस्कल ईयर के लिए फिच का अनुमान है कि ग्रोथ रेट में 5 फीसदी तक कमी आ सकती है.
भारत का ग्रोथ आउटलुक
फिच रेटिंग्स ने बुधवार को APAC सॉवरेन क्रेडिट ओवरव्यू में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के चलते भारत का ग्रोथ आउटलुक कमजोर हुआ है. साथ ही महामारी की वजह से कर्ज बहुत ज्यादा बढ़ गया है, जिससे आगे भी चुनौतियां रहेंगी. अगले फिस्कल ईयर के लिए GDP ग्रोथ 9.5 फीसदी रहने का अनुमान जताते हुए फिच रेटिंग्स ने कहा कि ग्लोबल क्राइसिस के बाद भारत की GDP ग्रोथ BBB कैटेगरी से ऊपर आ सकती है. लेकिन इसके लिए फाइनेंशियल सेक्टर की सेहत बिगड़ने से बचाना होगा.
लॉकडाउन में ठप पड़ी अर्थव्यवस्था
बता दें कि कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए देश में 25 मार्च से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का एलान किया गया. यह लॉकडाउन कई चरणों में चला. इसके चलते आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ गईं. 60 दिन के कड़े लॉकडाउन के बाद 4 मई से इसमें कुछ छूट दी गई. हालांकि देश में अभी भी कोविड 19 बड़ी चुनौती बनी हुई है.
आरबीआई ने किए उपाय
अर्थव्यवस्था को सपोर्ट देने के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया (RBI) ने 2 बार ब्याज दरों में कटौती की. लांग टर्म रेपो आपरेशन के जरिए लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय किए गए. बैंकों व एनबीएफसी में तरलता आए, इसके उपाय हुए. इसके अलावा सरकार ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का एलान किया गया.
2019-20 में सामान्य गवर्नमेंट डेट पहले से ही जीडीपी का 70 फीसदी था, जो 'बीबीबी' रेटिंग के औसत 42 फीसदी के ऊपर है. भारत के पब्लिक डेट/जीडीपी का अनुपात 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद के 84 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है. फिच रेटिंग्स ने दिसंबर 2019 में इसके 71 फीसदी का अनुमान लगाया था.