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मोहाली के एक नगर खरड़ के एक छोटे से गांव संबंधित चन्नी छात्र नेता के रूप में राजनीति की शुरुआत की.
Charanajit Singh as Punajb New CM: कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के इस्तीफे के बाद से पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर कई नाम सामने आ रहे थे लेकिन पंजाब कांग्रेस ने जिस शख्स को चुना, वह सभी के लिए सरप्राइज रहा. पंजाब कांग्रेस ने राज्य के अगले मुखिया के तौर पर 58 वर्षीय तकनीकी शिक्षा व औद्योगिक प्रशिक्षण मंत्री चरणजीत सिंह को चुना. चन्नी से पहले राज्य के मुख्यमंत्री पद पर जाट सिखों की मोनोपॉली (एकाधिकार) था. चन्नी को राज्य की कमान सौंपे जाने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं जिसमें अगले चुनाव को लेकर रणनीति तैयारियां भी शामिल हैं. नीचे पांच ऐसे प्रमुख कारणों के बारे में जानकारी दी जा रही है जिसके चलते चन्नी को राज्य की कप्तानी मिली है.
दलित फैक्टर
- पंजाब देश के उन राज्यों में शुमार है, जहां दलितों की संख्या सबसे अधिक है. पंजाब में करीब 32 फीसदी जनसंख्या दलितों की है और कुछ शोधार्थियों का मानना है कि जब जनसंख्या के वर्तमान आंकड़े सामने आएंगे, तो यह संख्या 38 फीसदी तक जा सकती है.
- जाट सिखों की बात करें तो पंजाब में इनकी संख्या महज 25 फीसदी है लेकिन राज्य की राजनीति में इनका एकाधिकार रहा है. 117 सदस्यों वाली पंजाब विधानसभा में 36 आरक्षित सीटें हैं. कांग्रेस के 20 विधायक दलित हैं लेकिन कैबिनेट में सिर्फ तीन को ही शामिल किया गया.
- हाल ही में पंजाब कांग्रेस का प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू को बनाया गया और अब एक दलित को राज्य की कमान सौंपकर कांग्रेस पार्टी ने लंबे समय से किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग को पूरा किया है.
विपक्ष पर बढ़त
शिरोमणि अकाली दल-बसपा गठबंधन और आम आदमी पार्टी, दोनों ने राज्य में सरकार बनने पर दलित उपमुख्यमंत्री बनाए जाने का वादा किया है. अब चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर कांग्रेस विपक्ष के ऊपर बढ़त बनाने में सफल रहा है.
सिख चेहरा
- चन्नी न सिर्फ दलित बल्कि सिख भी हैं. कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख सुनील कुमार जाखड़ का नाम भी अगले मुख्यमंत्री पद की दौड़ में था लेकिन कांग्रेस नेती अंबिना सोनी ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एक पंजाबी राज्य में कोई हिंदू मुख्यमंत्री नहीं हो सकता है.
- जाखड़ के प्रस्ताव पर जेल व सहकारिता मंत्री सुखविंदर सिंह रंधावा ने भी जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव का विरोध किया था. रंधावा ने कहा था कि किसी गैर-सिख को राज्य का मुख्यमंत्री बनाए जाने का वह समर्थन करते हैं तो वह भावी पीढ़ी का सामना नहीं कर पाएंगे. ऐसे में जाखड़ को कैप्टन का उत्तराधिकारी बनाए जाना खासा मुश्किल भरा था जिसने चन्नी का मार्ग प्रशस्त किया.
मतभेदों वाली पार्टी में स्वीकार्यता
चन्नी को राजनीतिक चतुराई के लिए जाना जाता है और वह पार्टी के भीतर विरोध में उठने वाली आवाजों से समझौता करने में सफल रहेंगे. वह उन तीन मंत्रियों के माझा ब्रिगेड के करीबी हैं जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ विधायकों को खड़ा किया. इसके अलावा सिद्धू उनके खिलाफ गलत कदम नहीं उठा सकते हैं व कैप्टन के लिए भी किसी दलित चेहरे को निशाना बनाना कठिन होगा.
मास अपील
- मोहाली के एक नगर खरड़ के एक छोटे से गांव संबंधित चन्नी छात्र नेता के रूप में राजनीति की शुरुआत की. उनकी कहानी बड़ी संख्या में लोगों से मिलती है यानी कि छोटे से गांव में नीचे से शुरुआत करना.
चन्नी की सबसे बड़ी मजबूती शिक्षा है. राजनीति में कैरियर बनाते हुए उन्होंने लगातार अपनी स्किल को मजबूत किया है.
- तकनीकी शिक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने रोजगार मेले के आयोजन और नए कॉलेजों व स्किल सेंटर्स को खोलने में बड़ी भूमिका निभाई है.
- कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि वह राज्य के लोगों को रोगजार व शिक्षा दिलाने में सक्षम होंगे जोकि मौजूदा दौर में पलायन के दौर से गुजर रहा है.
(इनपुट: इंडियन एक्सप्रेस)