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साल 2019 खत्म होने की कगार पर है. हर गुजरे साल की तरह इस साल भी सरकार की ओर से वित्तीय मोर्चे पर कई बड़े एलान किए गए. इनमें से ज्यादातर आम जनता की जिंदगी आसान बनाने में मददगार साबित हुए. सरकार ने बीत रहे साल में किसान, श्रमिक से लेकर व्यापारी और कंपनियों तक को अपनी घोषणाओं से साधने की कोशिश की. कुछ एलान वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में किए गए तो कुछ अलग से. आइए डालते हैं एक नजर ऐसे ही कुछ फैसलों पर...
PM किसान योजना
इस योजना का एलान सबसे पहले फरवरी में पेश हुए अंतरिम बजट 2019 में किया गया और उसी माह से यह लागू भी हो गई. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि यानी PM किसान योजना के तहत पांच एकड़ से कम कृषि योग्य जमीन वाले छोटे एवं सीमांत किसानों को तीन सालाना किस्तों में 6,000 रुपये मिलते हैं. किसानों की इस श्रेणी के तहत परिवार की परिभाषा में वैसे परिवारों को शामिल किया गया है, जिनमें पति-पत्नी और 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिग बच्चे हैं और सभी मिलकर 5 एकड़ तक की जमीन पर खेती करते हैं.
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन स्कीम
अंतरिम बजट 2019 में घोषित हुई यह स्कीम अंसगठित सेक्टर में काम करने वाले लोगों के लिए है. स्कीम के तहत 15000 रुपये से कम आय वाले व्यक्ति को 60 साल की उम्र से सरकार की ओर से 3000 रुपये मासिक पेंशन दी जाती है. हालांकि पेंशन पाने वाले व्यक्ति को भी स्कीम में मासिक अंशदान करना होता है. यह स्कीम मार्च 2019 से लागू हो चुकी है.
प्रधानमंत्री लघु व्यापारिक मानधन योजना
यह योजना छोटे कारोबारियों के लिए शुरू की गई है. इसमें छोटे कारोबारियों को 60 साल की उम्र के बाद 3000 रुपये की मासिक पेंशन मिलेगी. इसमें कारोबारियों को भी मासिक अंशदान करना होगा. योजना से 18 से 40 साल की उम्र का कारोबारी जुड़ सकता है. सरकार भी इसमें बराबर का योगदान करेगी. प्रधानमंत्री लघु व्यापारिक मानधन योजना का लाभ उन सभी कारोबारियों को मिलेगा, जिनका जीएसटी के तहत सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये से कम है.
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
यह स्कीम किसानों की पेंशन का इंतजाम करती है. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत मामूली अंशदान पर 60 साल की उम्र के बाद किसानों को 3 हजार रुपये मंथली पेंशन मिलती है. 18 से 40 वर्ष तक की आयु वाला कोई भी छोटी जोत वाला और सीमांत किसान योजना से जुड़ सकता है. लेकिन उसके पास 2 हेक्टेयर यानी 5 एकड़ तक की ही खेती की जमीन होनी चाहिए.
आयकर के मोर्चे पर हुए फैसले
- साल 2019 में फरवरी में पेश हुए अंतरिम बजट 2019 के तहत सरकार ने आयकर के तहत मिलने वाले रिबेट की सीमा को बढ़ाकर 12500 रुपये कर दिया. इसके चलते 5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री हो गई. स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 50000 रुपये किया गया.
- बैंक/डाकघरों में जमा पर मिलने वाले सालाना 40000 रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया.
- किराए पर TDS की सीमा बढ़कर 2.40 लाख रुपये हो गई.
- दूसरे सेल्फ ऑक्यूपाइड मकान को टैक्स फ्री बनाया गया. पहले दूसरे मकान में भले ही परिवार के सदस्य रह रहे हों यानी मकान किराए पर न दिया गया हो, फिर भी उस पर आस-पास के एरिया के मुताबिक रेंट कैलकुलेशन होता था. इसी पर सरकार टैक्स कैलकुलेट करती थी.
- एक मकान को बेचकर मिले पैसों से दो मकान खरीदने पर दोनों मकानों को टैक्स छूट के दायरे में लाया गया.
- मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में 45 लाख रुपये तक का मकान खरीदने के लिए मार्च 2020 तक लिए गए होम लोन के ब्याज भुगतान पर टैक्स डिडक्शन की लिमिट बढ़ाकर 3.5 लाख रुपये की गई.
- PAN कार्ड नहीं होने पर भी आधार के जरिए आयकर रिटर्न भरे जा सकने की सुविधा दी गई.
- इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के उद्देश्य से लिए गए कर्ज के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त टैक्स कटौती का क्लेम किए जा सकने की सुविधा दी गई.
- 2 करोड़ से 5 करोड़ तक कुल सालाना आय वालों के लिए सरचार्ज रेट 15 फीसदी से बढ़ाकर 25 फीसदी किया गया. 5 करोड़ से ज्यादा आय वालों के लिए यह 10 फीसदी से बढ़ाकर 37 फीसदी हो गया.
- किसी एक बैंक में मौजूद सभी सेविंग्स अकाउंट को मिलाकर सालाना 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कैश निकासी पर 2% TDS लगाया गया.
कॉरपोरेट टैक्स
- काॅरपोरेट टैक्स की 25 फीसदी दर का फायदा 400 करोड़ रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाली सभी कंपनियों तक किया गया. इससे पहले 250 करोड़ रुपये तक के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों पर ही 25 फीसदी काॅरपोरेट टैक्स दर लागू होती थी. यह एलान जुलाई 2019 में आए फुल बजट में किया गया.
- सितंबर 2019 में घरेलू कंपनियों के लिए बेस कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 फीसदी से घटकर 22 फीसदी की गई. 1 अक्टूबर 2019 के बाद अस्तित्व में आईं और 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू करने वाली नई मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 25 फीसदी से घटकर 15 फीसदी की गई. नई टैक्स दरों का लाभ लेने वाली कंपनियों द्वारा कोई भी रिबेट या डिडक्शन क्लेम नहीं कर पाने का प्रावधान किया गया.
- इसेंटिव/छूट का लाभ प्राप्त करने वाली कंपनियों के लिए मिनिमम अल्टरनेट टैक्स (MAT) की दर 18.5 फीसदी से 15 फीसदी की गई.
MDR
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50 करोड़ रुपये सालाना से ज्यादा के कारोबार वाले व्यापारिक प्रतिष्ठानों/कंपनियों को ग्राहक को डिजिटल भुगतान सुविधा देने पर उनसे या उनके ग्राहकों से कोई डिजिटल भुगतान शुल्क/मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नहीं वसूले जाने का एलान किया गया.
LTCG और शेयर बायबैक
FPI की तरफ से सिक्योरिटीज (डेरिवेटिव्स समेत) की बिक्री पर लगने वाले कैपिटल गेन्स टैक्स पर बढ़ा हुआ सरचार्ज हटाया गया. कंपनी में शेयरों की बिक्री और इक्विटी फंड यूनिट बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन्स पर सरचार्ज प्रभावी नहीं होने का प्रावधान किया गया. 5 जुलाई 2019 से पहले शेयर बायबैक का एलान करने वाली लिस्टेड कंपनियों को बायबैक टैक्स से छूट दी गई.
रेपो रेट से लिंक्ड लोन
साल 2019 में RBI ने रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों तक तुरंत पहुंचाने के लिए बैंकों से फ्लोटिंग रेट वाले सभी नए पर्सनल या रिटेल लोन और फ्लोटिंग रेट वाले MSME लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क से जोड़ने का आदेश दिया. इन बेंचमार्क में RBI की रेपो रेट, भारत सरकार के 3 माह या 6 माह के ट्रेजरी बिल यील्ड और फाइनेंशियल बेंचमार्क्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (FBIL) द्वारा प्रकाशित कोई भी अन्य बेंचमार्क शामिल हैं. बैंकों ने आरबीआई के इस फैसले पर सितंबर 2019 से पालन करना शुरू किया और अक्टूबर खत्म होते-होते लगभग सभी बैंकों ने रेपो रेट से लिंक्ड रिटेल लोन प्रॉडक्ट पेश कर दिए.