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रघुराम राजन और विरल आचार्य ने भारतीय बैंकिंग सिस्टम की सेहत सुधारने के उपाय बताए

रघुराम राजन और विरल आचार्य ने एक रिसर्च पेपर में देश के बैंकिंग सेक्टर की समस्याओं और उनके समाधान के रास्ते सुझाए हैं, जिससे सेक्टर को मजबूत किया जा सके.

रघुराम राजन और विरल आचार्य ने एक रिसर्च पेपर में देश के बैंकिंग सेक्टर की समस्याओं और उनके समाधान के रास्ते सुझाए हैं, जिससे सेक्टर को मजबूत किया जा सके.

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Former RBI Governor Raghuram Rajan and former Deputy Governor Viral Acharya suggests ways to tackle problems in India’s banking sector

रघुराम राजन और विरल आचार्य ने बैड लोन यानी एनपीए की समस्या से निपटने के लिए तीन रास्ते सुझाए हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य (Viral Acharya) ने साथ मिलकर भारतीय बैंकिंग सेक्टर की सेहत सुधारने के सुझाव दिए हैं. दोनों ही अर्थशास्त्री आरबीआई में अपने कार्यकाल के बाद एकेडमिक गतिविधियों से जुड़ गए हैं. दोनों ने एक रिसर्च पेपर में देश के बैंकिंग सेक्टर की समस्याओं और उनके समाधान के रास्ते सुझाए हैं, जिससे सेक्टर को मजबूत किया जा सके. उन्होंने सरकारी बैंकों का विशेष तौर से उल्लेख किया है. भारत में क्रेडिट टू GDP रेश्यो भले ही कम है, लेकिन बैंकिंग सिस्टम का NPA दुनिया के अनुपात में सबसे अधिक है. आरबीआई के दोनों पूर्व बैंकर्स ने अपने पेपर में इस बात का जिक्र किया है.

रघुराम राजन फिलहाल शिकागो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं. विरल आचार्य ने पिछले साल जुलाई में ही अपने 3 साल के कार्यकाल से करीब 6 महीने पहले RBI के डिप्टी गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था.

बैड लोन से कैसे निपटे?

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रघुराम राजन और विरल आचार्य ने बैड लोन यानी एनपीए की समस्या से निपटने के लिए तीन रास्ते सुझाए हैं. केंद्रीय बैंक के दोनों बैंकर्स ने कहा, दबावग्रस्त कंपनी के लेनदारों के बीच तय समय में बातचीत के लिए आउट-ऑफ-कोर्ट रिस्ट्रक्चरिंग फ्रेमवर्क को डिजाइन किया जा सकता है. ऐसा न कर पाने पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में अप्लाई करना चाहिए. उन्होंने कहा कि फंसे हुए कर्ज के बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डेवलप करने पर विचार करना चाहिए. इससे लोन सेल्स में रीयल टाइम ट्रांसपरेंसी देखने को मिलेगी. आखिर में, राजन और आचार्य का कहना है कि दबावग्रस्त लोन सेल्स के लिए प्राइवेट एसेट मैनेजमेंट एंड नेशनल एसेट मैनेजमेंट 'बैड बैंक्स' को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के समानांतर प्रोत्साहित करना चाहिए.

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PSU बैंकों में सुधार

सरकारी बैंकों में सुधार को लेकर रिसर्च पेपर में पीएसयू बैंकों के बोर्ड और मैनेजमेंट के लिए स्वतंत्र रूप से कामकाज की छूट देने का सुझाव दिया गया है. राजन और आचार्य ने सरकारी हिस्सेदारी के लिए एक होल्डिंग कंपनी बनाने का प्रस्ताव ​रखा है. यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिसे बीते तीन दशक में बैंकिंग रिफॉर्म पर गठित कई समितियों ने दिया है. एक अन्य सुझाव में बैंकों को उनके अनिवार्य लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से दिए जाने भुगतान के बारे में है. दोनों अर्थशास्त्रियों का कहना है कि बैंक खाता खोलने जैसी गतिविधयों के लिए लागत रिइम्बर्स कर सकते हैं.

Rbi Raghuram Rajan