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G20 Summit: भारत के लिए ये एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है.
G20 Summit: दिल्ली में चल रहे G20 बैठक में भारत को बड़ी सफलता मिली है. पीएम मोदी ने एलान किया है कि नई दिल्ली G20 डिक्लेरेशन पर सभी देशों की मंजूरी मिल गई है. सर्वसम्मति बनने के बाद पीएम ने अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों से कहा कि "मैं चाहता हूं कि इस डिक्लेरेशन को एडॉप्ट कर लिया जाए." इसके उन्होंने ये बताया कि दिल्ली घोषणापत्र को एडाप्ट कर लिया गया है. गौरतलब है कि भारत के लिए ये एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है. भारत और चीन के रिश्ते सही नहीं है, रूस के साथ अमेरिका और पूरे यूरोपीय देश सख्ती अपनाए हुए हैं, अमेरिका और चीन के रिश्तों में भी तनाव है, ऐसे में इस मीटिंग के सफलता पर संकट के बादल मंडरा रहे थे. हालांकि भारत के इस चुनौती को पार करते हुए दिल्ली घोषणापत्र पर सभी देशों की मंजूरी पा ली है.
AU बना G20 का स्थाई सदस्य
भारत मंडपम में आयोजित जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, मोदी ने जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में अपनी सीट लेने के लिए अफ्रीकी संघ का स्वागत किया. जी20 अध्यक्ष के रूप में, भारत ने वैश्विक समुदाय से इस वैश्विक विश्वास की कमी को एक-दूसरे पर सामूहिक विश्वास में बदलने की अपील की. मोदी ने एकता और सहयोग का आह्वान करते हुए कहा, "यह हमारे लिए एक साथ यात्रा करने का समय है." प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी साझा किया कि भारत में G20 शिखर सम्मेलन "लोगों के G20" के रूप में विकसित हुआ है, जिसमें 60 से अधिक शहरों में 200 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं.
दो मुश्किलों को भारत किया पार
इससे पहले मोदी ने शिखर सम्मेलन के लिए नई दिल्ली के भारत मंडपम पहुंचने पर विश्व नेताओं और विदेशी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। रूस-यूक्रेन युद्ध और हिंद-प्रशांत और दक्षिण चीन सागर में चीन की महत्वाकांक्षाओं को लेकर समूह में मतभेद के बीच आज शिखर सम्मेलन शुरू हुआ. हालांकि उम्मीदों की विपरीत ये आयोजन सफल होता नजर आ रहा है. भारत के सामने इस मीटिंग में दो चैलेंज थे, पहला, AU को G20 का पूर्ण सदस्यता दिलाना और दूसरा सर्वसम्मति से दिल्ली डिक्लेरेशन को पारित करवाना. भारत दोनों में सफल हुआ है.
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भारत ने की AU की पैरवी
पिछले कुछ सालों में भारत ने ग्लोबल साउथ की खूब पैरवी की है. पीएम ने खासतौर से अफ्रीकी महाद्वीप के मुद्दों, कठिनाइयों और आकांक्षाओं को वैश्विक स्तर पर उजागर किया है. जून में, मोदी ने जी20 देशों के नेताओं को पत्र लिखकर पहल की और उनसे नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान एयू को पूर्ण सदस्यता प्रदान करने का आग्रह किया. कुछ सप्ताह बाद, प्रस्ताव को शिखर सम्मेलन के लिए आधिकारिक मसौदा विज्ञप्ति में शामिल किया गया. यह समावेश तीसरी जी20 शेरपा बैठक के दौरान हुआ, जो जुलाई में कर्नाटक के हम्पी में बुलाई गई थी.
ये देश हैं G20 के सदस्य
इस महीने की शुरुआत में पीटीआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार में, मोदी ने कहा कि अफ्रीका भारत के लिए "सर्वोच्च प्राथमिकता" है और यह वैश्विक मामलों में उन लोगों को शामिल करने के लिए काम करता है जिन्हें लगता है कि उनकी आवाज़ नहीं सुनी जा रही है. G20 की स्थापना 1999 में विभिन्न वैश्विक आर्थिक संकटों की प्रतिक्रिया के रूप में की गई थी. जी20 के सदस्य राष्ट्र सामूहिक रूप से दुनिया की जीडीपी का लगभग 85 फीसदी, वैश्विक व्यापार का 75 फ़ीसदी से अधिक और वैश्विक आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा रखते हैं. G20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं.