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Gaganyaan Mission : ISRO की अंतरिक्ष में बड़ी छलांग, गगनयान के लिए पहली टेस्ट फ्लाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, क्या है मकसद?

गगनयान मिशन का मकसद 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मानव को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है.

गगनयान मिशन का मकसद 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मानव को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है.

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FE Hindi Desk
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Gaganyaan mission

Gaganyaan mission: 'क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है.

Gaganyaan mission: After initial glitch, test flight mission a success: भारतीय स्पेस एजंसी इसरो ने गगनयान मिशन के लिए पहली टेस्ट फ्लाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया. इसरो ने शनिवार को श्रीहरिककोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से व्हीकल एबॉर्ट मिशन -1 (टीवी-डी1) को लॉन्च किया. इस व्हीकल ने 17 किमी की उंचाई से क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम को छोड़ दिया. फिर पैराशूट के जरिए सफलतापूर्वक क्रू मॉड्यूल सिस्टम को समंदर में उतारा गया.

गड़बड़ी के कारण राकेट लॉन्च शेड्यूल रोका गया

इसरो अपने दूसरे प्रयास में उड़ान परीक्षण पूरा करने में सफल रही क्योंकि रॉकेट के प्रज्वलन में गड़बड़ी के कारण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में प्रक्षेपण से पहले परीक्षण को रद्द कर दिया गया था. पहले राकेट की लॉन्चिंग शनिवार सुबह आठ बजे किया जाना था, लेकिन बाद में इसे दो बार कुल 45 मिनट के लिए टाला गया. इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बाद में बताया कि गड़बड़ी के कारण राकेट की लॉन्चिंग तय कार्यक्रम के अनुसार नहीं हो सका. उन्होंने कहा कि टीवी-डी1 रॉकेट का इंजन तय प्रक्रिया के अनुसार चालू नहीं हो सका था. इसके बाद, इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘प्रक्षेपण रोके जाने के कारण का पता लगा लिया गया है और उसे दुरुस्त कर दिया गया है. 

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क्या है गगनयान मिशन का मकसद?

गगनयान मिशन का मकसद 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मानव को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उसके बाद उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है. 'क्रू मॉड्यूल' के भीतर अंतरिक्ष यात्री बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे. 'क्रू मॉड्यूल’ रॉकेट में पेलोड है, और यह अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अंतरिक्ष में पृथ्वी जैसे वातावरण के साथ रहने योग्य जगह है. इसमें एक दबावयुक्त धात्विक ‘आंतरिक संरचना’ और ‘थर्मल सुरक्षा प्रणालियों’ के साथ एक बिना दबाव वाली ‘बाहरी संरचना’ शामिल है. शनिवार को पहली टेस्ट उड़ान के दौरान ‘क्रू मॉड्यूल’ में लगी विभिन्न प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए डेटा प्राप्त किया जाएगा, जिससे वैज्ञानिकों को यान के प्रदर्शन की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी.

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