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Ganesh Chaturthi celebration 2022: गणपति को क्यों पसंद हैं मोदक, 10 दिनों के पर्व में गणपति की इन चीजों से लगाएं भोग

Ganesh Chaturthi celebration 2022 Started in India: घर में बप्पा की स्थापना के साथ ही विशेष प्रकार के भोग के साथ करें गणपति की अराधना, विशेष भोग से होती हैं सभी मनोकामनाओं की पूर्ति

Ganesh Chaturthi celebration 2022 Started in India: घर में बप्पा की स्थापना के साथ ही विशेष प्रकार के भोग के साथ करें गणपति की अराधना, विशेष भोग से होती हैं सभी मनोकामनाओं की पूर्ति

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FE Hindi Desk
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Ganesh Chaturthi celebration 2022 | Ganesh Chaturthi Murthi Sthapana

Ganesh Chaturthi 2022: Ganesh Chaturthi begins on August 31 and end on September 9 गणेश चतुर्थी से शुरु होने वाले इस उत्सव में गणपति को लगाया जाता है विशेष प्रकार के मोदकों का भोग.

Ganesh Chaturthi Murti Sthapana: गणेश चतुर्थी के साथ ही आज से देश भर में गणपति उत्सव की बहुत ही धूमधाम के साथ शुरुआत हो गई है. सुख व समृद्धि के देवता गणपति के जन्म के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले इस उत्सव को हिन्दुओं में बहुत ही पवित्रता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा की अपने घरों व पूजा पंडालों में स्थापना करते हैं. 10 दिनों तक चलने वाले इस महाउत्सव में गणेश भगवान की पूजा का विशेष विधान और महत्व है.

हिन्दू मान्यताओं की माने तो भगवान गणेश को भोजन का शौकीन माना जाता है. इसलिए उनकी पूजा के दौरान भोग का भी विशेष ध्यान रखा जाता है. गणपति को चढाये जाने वाले भोग जैसे मोदक के बारे में तो आम तौर पर सभी ने सुना ही है, लेकिन ऐसे बहुत से पकवान हैं, जिनका भोग भगवान गणेश का प्रिय माना जाता है. इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि भोग में लहसुन-प्याज व अन्य प्रकार के तेज मसालों का प्रयोग न किया जाए. भगवान गणेश को पूर्ण रूप से सात्विक भोजन का भोग लगाया जाता है. 

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वैसे तो बाजार में कई तरह के मिठाईयां व भोग पकवान मिल जाते हैं, लेकिन यदि आप अपने हाथों से घर में बनाए गए सात्विक भोजन का भोग लगाते हैं तो इसका विशेष महत्व है. भगवान गणेश को मोतीचूर के लड्डूओं, मोदक, शीरा, हल्वा और खीर का भी भोग लगाया जाता है. इसके साथ ही यदि आप घर में भोग का प्रसाद नहीं बना सकते हैं तो आप बाजार से खरीद कर भी गणपति को भोग लगा सकते हैं. 

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भोग लगाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भोग में चढ़ाये जाने वाला पकवान नरम हो. ऐसी मान्यता है कि जब भगवाग परशुराम और गणपति का युद्ध हुआ तो परशुराम जी के परशु प्रहार से गणेश जी का एक दांत आधा टूट गया, जिसकी वजह से उन्हें भोजन करने में बहुत परेशानी हो रही थी तो माता पार्वती ने उनके लिए विशेष प्रकार का नरम खाना बनाया ताकि उन्हें भोजन करते समय किसी भी तरह की कोई दिक्कत न हो. 

तभी से गणपति को नरम प्रकार के मोदक व पकवानों का भोग लगाये जाने की परंपरा शुरू हो गई. कहा जाता है कि गणपति को विशेष प्रकार के भोग चढाने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. 

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