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India Ratings ने भारत के विकास दर अनुमान में की कटौती, अगले वित्त वर्ष के दौरान करीब 7% रहने के आसार

इंडिया रेटिंग्स ने विकास दर के अनुमान में कटौती रूस-यूक्रेन युद्ध और कंज्यूमर सेंटीमेंट पर उसके असर की वजह से की है.

इंडिया रेटिंग्स ने विकास दर के अनुमान में कटौती रूस-यूक्रेन युद्ध और कंज्यूमर सेंटीमेंट पर उसके असर की वजह से की है.

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‘इंडिया रेटिंग्स’ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के GDP ग्रोथ रेट अनुमान को घटाकर 7 से 7.2 फीसदी कर दिया है.

GDP Forecast Slashed: रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स’ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के GDP ग्रोथ रेट अनुमान को घटाकर 7 से 7.2 फीसदी कर दिया है. एजेंसी ने पहले 7.6 प्रतिशत की ग्रोथ रेट का अनुमान जताया था. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़ती अनिश्चितता और नतीजतन कंज्यूमर सेंटीमेंट प्रभावित होने के कारण इंडिया रेटिंग्स ने विकास दर के अनुमान में कटौती की है. इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि युद्ध कब खत्म होगा इसे लेकर अनिश्चितता के चलते कच्चे तेल की कीमतें पहले सिनेरियो में तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं. वहीं, इसका दूसरा ट्रेंड यह है कि कीमतें छह महीने तक उच्च स्तर पर रह सकती हैं.

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7-7.2 फीसदी रह सकती है विकास दर

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रेटिंग एजेंसी के चीफ इकनॉमिस्ट देवेंद्र पंत और प्रिंसिपल अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने बुधवार को कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर रहती है तो वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वद्धि 7.2 फीसदी रह सकती है. वहीं, अगर कीमतें इसके बाद भी ऊंचे स्तर पर रहती हैं तो जीडीपी ग्रोथ रेट और भी कम यानी 7 प्रतिशत रहेगी. ये दोनों ही आंकड़े जीडीपी ग्रोथ रेट के पहले के 7.6 फीसदी के अनुमान से कम हैं.

उन्होंने आगे कहा कि आगामी वित्त वर्ष में इन दो सिनेरियो में अर्थव्यवस्था का आकार 2022-23 के जीडीपी ट्रेंड वैल्यू की तुलना में क्रमश: 10.6 प्रतिशत और 10.8 फीसदी कम रहेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में उपभोक्ता मांग कमजोर रही है. हालांकि, त्योहारों के दौरान रोजमर्रा के सामान की मांग बढ़ी थी. लेकिन बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए इसमें संदेह है कि यह मांग बनी रहेगी. लोगों द्वारा गैर-जरूरी वस्तुओं पर खर्च में कमी आएगी.

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यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण कमोडिटी की बढ़ती कीमतें, कंज्यूमर इन्फ्लेशन के बढ़ने के कारण कंज्यूमर सेंटीमेंट और भी कमजोर पड़ सकती हैं. रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि प्राइवेट कंजम्पशन पर खर्च के पहले के 9.4 फीसदी के अनुमान के मुकाबले पहले और दूसरे सिनेरियो में क्रमश: 8.1 फीसदी और आठ प्रतिशत रहेगा. इन्फ्लेशन की बात करें तो रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि करेंसी के मूल्य में गिरावट को जोड़े बिना कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की वृद्धि से रिटेल इन्फ्लेशन 0.42 फीसदी और होलसेल इन्फ्लेशन 1.04 फीसदी तक बढ़ सकती है. इसी तरह सूरजमुखी के तेल में 10 प्रतिशत के उछाल से रिटेल इन्फ्लेशन 0.12 फीसदी और होलसेल इन्फ्लेशन 0.024 फीसदी बढ़ सकती है.

(इनपुट-पीटीआई)

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