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सरकारी पोर्टल GeM के ज़रिए खरीद कर सकेंगी सहकारी समितियां, कैबिनेट ने लिया फैसला

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस फैसले से सहकारी समितियों को GeM बाज़ार से लाभ मिलेगा और GeM सेलर्स को भी ज्यादा खरीदार मिलेंगे.

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस फैसले से सहकारी समितियों को GeM बाज़ार से लाभ मिलेगा और GeM सेलर्स को भी ज्यादा खरीदार मिलेंगे.

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Now MSMEs can sell to cooperatives as well on govt’s e-commerce portal

केंद्र सरकार ने डिजिटल खरीद पोर्टल सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर सहकारी समितियों को खरीदारों के रूप में जोड़ने को मंजूरी दे दी है.

GeM: केंद्र सरकार ने डिजिटल खरीद पोर्टल सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर सहकारी समितियों को खरीदारों के रूप में जोड़ने को मंजूरी दे दी है. इसका मतलब है कि अब सहकारी समितियां GeM के ज़रिए खरीद कर सकेंगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को यह फैसला लिया. बता दें कि सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर खरीदारों के रूप में अब तक सरकारी विभागों, मंत्रालयों और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSU) ही शामिल हो सकते थे. लेकिन सरकार के फैसले के बाद अब सहकारी समितियां भी इस पोर्टल पर खरीद कर सकेंगे.

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अनुराग ठाकुर का बयान

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सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट ब्रीफिंग में कहा, "इससे सहकारी समितियों में पारदर्शिता आएगी, उन्हें GeM बाज़ार से लाभ मिलेगा और GeM सेलर्स को ज्यादा खरीदार मिलेंगे." वर्तमान में, GeM प्राइवेट सेक्टर बायर्स के लिए उपलब्ध नहीं है, जबकि विक्रेता सरकारी या निजी सहित सभी सेगमेंट्स से हो सकते हैं. ठाकुर ने आगे कहा कि इस निर्णय से 8.54 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड सहकारी समितियों और उनके 27 करोड़ सदस्यों को लाभ मिलेगा.

सरकार का कहना है कि इस फैसले से सहकारिता में पारदर्शिता आएगी और सहकारिता क्षेत्र को इसका फायदा होगा. इससे GeM के विक्रेताओं को भी बायर्स का एक बड़ा समूह मिलेगा. वर्तमान में देश भर में 8.54 लाख पंजीकृत सहकारी समितियां हैं और इनके लगभग 27 करोड़ सदस्य हैं, जिन्हें इस फैसला का फायदा होने वाला है. इसके अलावा, सामान बेचने के लिए विक्रेताओं को भी एक बड़ा प्लेटफॉर्म मिलेगा.

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कैसा है पोर्टल का प्रदर्शन

FY19-FY22 की अवधि के दौरान, पोर्टल का ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) 84.5 प्रतिशत CAGR से अधिक हो गया और अकेले FY22 में 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया. ठाकुर ने आगे कहा, “पिछले चार वर्षों की बात करें तो वित्त वर्ष 18 में 6,220 करोड़ रुपये की खरीद की गई थी जो वित्त वर्ष 22 में बढ़कर 1,06,000 करोड़ रुपये हो गई. इसी तरह, संचयी खरीदार की संख्या भी 21,254 से बढ़कर 59,130 हो गई, जबकि संचयी विक्रेता संख्या 86,835 से बढ़कर वित्त वर्ष FY18-FY22 की अवधि के दौरान 40,02,000 से अधिक हो गई.”

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