/financial-express-hindi/media/post_banners/cT2dJ2mWARL1EcOtbaTu.jpg)
भारत में खरीफ की रिकॉर्ड बुवाई के साथ इस सीजन में बंपर फसल भी हो सकती है.
/financial-express-hindi/media/post_attachments/k5tSAfgS88eF4T1pTODE.jpg)
भारत में खरीफ की रिकॉर्ड बुवाई के साथ इस सीजन में बंपर फसल भी हो सकती है और वैश्विक खाने की कीमतों में रिकवरी के साथ भारतीय किसानों को फायदा होने की उम्मीद है. यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के फूड प्राइस इंडैक्स पिछले तीन महीनों के दौरान केवल ऊपर गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लोबल इंडैक्स पर आधारित सालाना खाद्य महंगाई भी अगस्त में नकारात्मक स्तर से वापस आ गई है.
मानसून की बारिश भी अच्छी रही
भारतीय किसानों के लिए यह अच्छी खबर लाया है जिनकी समय पर मानसून की बारिश और मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान पहले चार महीनों में केंद्र सरकार के कृषि क्षेत्र को लेकर उठाए गए कदमों की वजह से अच्छी फसल हुई है.
अंतरराष्ट्रीय खाने की कीमतें भी लगभग एक साल से अस्थिर बनी रहीं और जहां इस साल जनवरी में इसने दिसंबर 2014 के बाद रिकॉर्ड ऊंचाई को छू लिया, कोरोना वायरस महामारी की वजह से इसमें लगातार गिरावट आई है. अगस्त 2019 और जनवरी 2020 के बीच FPI पर आधारित महंगाई -1.99% से बढ़कर 9.94% हो गई. लंबी अवधि तक कम उत्पादकों के बाद बहुत सी कमोडिटी की सप्लाई जैसे चीनी, चावल और स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) सीमित हो रही थी.
FPI नीचे गिरा
कोरोना वायरस के प्रकोप के साथ, FPI जनवरी में 61 महीने की अपनी ऊंचाई से मई में 48 महीने के निचले स्तर पर आ गया. ऐसा ही कुछ दुनिया के फूड ट्रेड और डिमांड के बारे में कहा जा सकता है, जो ढह गई क्योंकि अधिकतर देशों ने ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन लागू किया था.
हालांकि, अब इंडैक्स तीन महीनों से बढ़ रहा है जो जून, जुलाई और अगस्त हैं जो कीमत में रिकवरी का भी संकेत देता है. कुछ कमोडिटी जैसे गेहूं, सोयाबीन, कच्ची चीनी, कॉफी और कोको में यह दिख भी रहा है. कुछ कमोडिटी में कीमत की बढ़ोतरी भारतीय किसानों के लिए भी अच्छा संकेत है.