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Govardhan Puja 2022: गोवर्धन पूजन आज, ये हैं शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन के पूजन का विधान है, लेकिन इस साल ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद की जाएगी.

कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गोवर्धन के पूजन का विधान है, लेकिन इस साल ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद की जाएगी.

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FE Hindi Desk
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दिवाली से अगले दिन गोवर्धन का पूजन किया जाता है. इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है.

Govardhan Puja 2022: कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दिवाली से अगले दिन गोवर्धन पूजन किया जाता है. इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है. इस साल सूर्य ग्रहण की वजह से गोवर्धन पूजा एक दिन बाद यानी आज की जाएगी, जबकि भाई दूज उसके अगले दिन मनाया जाएगा. इस दिन भगवान श्री कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है. देश के कई हिस्सों में इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और भोग के लिए 56 तरह के पकवान बनाएं जाते हैं. इन्हीं 56 प्रकार के भोग को ही 'अन्नकूट' कहा जाता है.

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गोवर्धन पूजन का विधान

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दिवाली के अगले दिन सुबह अन्नकूट की रसोई तैयार की जाती है. इसमें पकवान के साथ ही कई तरह की मिठाइयां भोग के लिए रखी जाती है. पूजन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराये जाने का विधान है. भोग के लिए बनाए गए अन्नकूट को प्रसाद के तौर पर बांटे और खुद भी ग्रहण करें.

परंपरा

इस दिन सुबह नहा-धोकर पहले गोबर से गोवर्धन बनाएं. इसके बाद रोली, मोली, फूल व धूप और दीप जलाकर गोवर्धन की पूजा करें. इस दिन विश्वकर्मा देवता की भी पूजा की जाती है. हस्तशिल्प से जुड़े मिस्त्री और कारीगर अपने औजारों की पूजा करते हैं. इस दिन ये लोग कोई भी औजारों के इस्तेमाल वाला काम नहीं करते हैं. 

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त-

गोवर्धन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 06:29 बजे से 08:43 बजे तक है. पूजन के लिए सिर्फ दो घंटे का समय है. कार्तिक माहीने के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 25 अक्टूबर को 04:18 बजे से 26 अक्टूबर को दोपहर 02:42 बजे तक है.

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पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता है कि आज ही के दिन देवराज इंद्र का अहंकार को तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने हाथ की कन्नी उंगली से उठाया था. मान्यताओं के अनुसार एक बार देवराज इंद्र को इस बात का अंहकार हो गया कि उनकी वजह से धरती पर हरियाली है. ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के अंहकार को खत्म करने के लिए ब्रज क्षेत्र में होने वाली इंद्र की पूजा को बंद करवा दिया, जिससे नाराज होकर इंद्र ने ब्रज में लगातार कई दिनों तक भयंकर बारिश कराई. इसकी वजह से ब्रज में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई. भगवान ने विशाल गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की.

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