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सरकार ओरिएंटल इंश्योरेंस या यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी का निजीकरण करने के लिए विचार कर सकती है.
सरकार ओरिएंटल इंश्योरेंस (Oriental Insurance) या यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी (United India Insurance Co) का निजीकरण करने के लिए विचार कर सकती है. इस मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने यह बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार इनके निजीकरण पर विचार कर सकती है क्योंकि कैपिटल निवेश (capital infusion) के बाद उनकी वित्तीय सेहत में सुधार आया है. उनकी वित्तीय सेहत को और मजबूत करने के लिए सरकार द्वारा मौजूदा तिमाही के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की जनरल इंश्योरेंस कंपनियों में तीन हजार करोड़ रुपये का निवेश करने की उम्मीद है.
कंपनियों की बेहतर वित्तीय स्थिति वजह
दोनों ओरिएंटल इंश्योरेंस और चेन्नई में आधारित यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस अपनी बेहतर वित्तीय स्थिति की वजह से निजी सेक्टर से रूचि पैदा कर पाएगी. निजीकरण के लिए एक उपयुक्त कैंडिडेट चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई है और फैसला लेने में कुछ समय लगेगा, सूत्रों के मुताबिक, न्यू इंडिया एश्योरेंस की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, जहां सरकार की हिस्सेदारी 85.44 फीसदी है.
प्लान के मुताबिक, नीति आयोग सरकार से सिफारिशें करेगा और वित्त मंत्रालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) प्रस्ताव को उसके सही निष्कर्ष तक ले जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2021-22 में बड़े निजीकरण के एजेंडा का एलान किया था, जिसमें दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी शामिल हैं.
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सरकार ने निजीकरण से 1.75 लाख करोड़ का बजट रखा
वित्तीय क्षेत्र के लिए विनिवेश की रणनीति के तौर पर, सरकार ने अप्रैल में शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष के दौरान लाइफ इंश्योरेंस ऑफ इंडिया (LIC) के मेगा इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) लाने और IDBI बैंक में बची हुई हिस्सेदारी की बिक्री का फैसला किया था.
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी की बिक्री से 2021-22 के दौरान 1.75 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है. पिछले साल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय कैबिनेट ने नेशनल इंश्योरेंस, ओरिएंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस को कैपिटल सपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए प्रस्ताव पारित किया था.
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