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वायुसेना को मार्च 2024 से तेजस की डिलीवरी शुरू हो जाएगी.
केंद्र सरकार ने बुधवार को 48,000 करोड़ के रक्षा सौदे पर औपचारिक मुहर लगा दी है. इस सौदे के तहत सरकारी एयरोस्पेश कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान का निर्माण कर भारतीय वायुसेना को उपलब्ध कराएगी. इस सौदे को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के डायरेक्टर जनरल (एक्विजिशन) वीएल कांता राव ने एचएएल को चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर माधवन को सौंपा. प्रीमियर डिफेंस और एयरोस्पेस शो Aero India-2021 के उद्घाटन समारोह के दौरान इस सौदे पर मुहर लगी.
देश के सबसे बड़े स्वदेशी रक्षा सौदे के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहे. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सौदे पर खुशी जताते हुए कहा कि संभवत: यह अब तक देश का सबसे बड़ा मेक इन इंडिया डिफेंस कांट्रैक्ट है.
मार्च 2024 से शुरू हो जाएगी डिलीवरी
माधवन के मुताबिक सौदे के तहत भारतीय वायुसेना को तेजस एलसीए की डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू हो जाएगी. वायुसेना को सालाना 16 एयरक्राफ्ट सौंपे जाएंगे जब तक 83 जेट्स की आपूर्ति न हो जाए यानी वायुसेना के पास 2032 तक 83 तेजस जेट्स हो जाएंगे. माधवन ने जानकारी दी कि कुछ देशों ने तेजस में दिलचस्पी दिखाई है और अगले कुछ वर्षों में अन्य देशों से भी तेजस के लिए ऑर्डर मिल सकता है.
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पिछले महीने सौदे को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी
तेजस का निर्माण एचएएल ने किया है. स्वदेशी तकनीक से विकसित तेजस एक सिंगल इंजन का मल्टी रोल सुपरसोनिक फाइटर जेट है जो किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है. पिछले महीने 13 जनवरी 2021 को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए एचएएल से 73 तेजस एमके-1ए और 10 एलसीए एमके-1 ट्रेनर एयरक्राफ्ट के सौदे को मंजूरी दी थी.
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार 2 फरवरी को एचएएल के दूसरे एलसीए-तेजस प्रोडक्शन प्लांट का उद्घाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि तेजस न सिर्फ स्वदेशी है बल्कि कुछ पैरामीटर्स की तुलना में यह इस श्रेणी के विदेशी विमानों से बेहतर और सस्ता है.