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The amendment intends to penalise any sale and purchase of wheat and paddy below MSP.
सरकार ने सोमवार को गेहूं समेत 6 रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दिया. इसके पीछे उद्देश्य किसानों तक यह संदेश पहुंचाना है कि MSP आधारित खरीद प्रक्रिया जारी रहेगी. कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने लोकसभा में बताया कि गेहूं का MSP 50 रुपये बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया.
इसके अलावा मसूर, चना, जौ, सैफ्लोवर और सरसों/रैप्सीड के MSP में भी बढ़ोत्तरी की गई है. तोमर ने कहा कि 2020-21 फसल वर्ष (जुलाई-जून) और 2021-22 मार्केटिंग सीजन के लिए 6 रबी फसलों के बढ़े हुए एमएसपी के तहत अब चने का एमएसपी 225 रुपये बढ़कर 5100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. जौ का एमएसपी 75 रुपये बढ़ाकर 1600 रुपये प्रति क्विंटल, मसूर का 300 रुपये बढ़ाकर 5100 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों/रैप्सीड का 225 रुपये बढ़ाकर 4650 रुपये प्रति क्विंटल और सैफ्लोवर का एमएसपी 112 रुपये बढ़ाकर 5327 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
प्रॉडक्शन कॉस्ट से 106% ज्यादा है गेहूं का MSP
तोमर ने कई ट्वीट भी किए, जिनमें उन्होंने बताया कि गेहूं का एमएसपी इसकी प्रॉडक्शन कॉस्ट से 106 फीसदी ज्यादा है. चना व मसूर के मामले में यह प्रॉडक्शन कॉस्ट से 78 फीसदी, जौ के मामले में 65 फीसदी, सरसों के मामले में 93 फीसदी और सैफ्लोवर के मामले में एमएसपी प्रॉडक्शन कॉस्ट से 50 फीसदी ज्यादा है.
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एक दिन पहले ही पास हुए हैं दो फार्म बिल
बता दें कि एक दिन पहले ही संसद से कृषि संबंधी दो विधेयक पारित हुए हैं, जिनका कांग्रेस, टीएमसी जैसे विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के अंदर से भी विरोध किया जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि नए कानून एमएसपी आधारित सरकारी खरीद को खत्म कर सकते हैं. पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य स्थानों पर किसान समूह भी 'कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020' और 'कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता व कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020' विधेयकों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि उत्पाद बाजार समिति (एपीएमसी) की व्यवस्था बनी रहेगी, सरकारी खरीद होती रहेगी और इसके साथ किसान जहां चाहें अपने उत्पाद बेच सकेंगे.’’