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सरकारी बिजली कंपनियों के समय पर बिल भुगतान को लेकर मोदी सरकार नई कोशिशें कर रही हैं जिसके तहत बकाए का भुगतान हो सकता है.
सरकारी बिजली कंपनियों के समय पर बिल भुगतान को लेकर मोदी सरकार नई कोशिशें कर रही हैं जिसके तहत बकाए का भुगतान हो सकता है. सरकारी इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन एंटिटीज (डिस्कॉम्स) के पेमेंट पर समय पर हो सकें, इसके लिए केंद्रीय पॉवर मिनिस्ट्री ने बिजली बनाने वाली कंपनी एनटीपीसी की तरफ से त्रिपक्षीय समझौते (टीपीए) को लागू कर दिया है. यह त्रिपक्षीय समझौता केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) और राज्य सरकार के बीच है. इस समझौते के तहत कर्नाटक, तमिलाडु और झारखंड की सरकारी बिजली कंपनियों के बकाए को राज्य सरकार से वसूल कर सकेगी.
बिजली कंपनियों द्वारा बकाए में देरी और कुछ डिस्कॉम्स द्वारा ओवरड्यू पेमेंट चुकता से इनकार करने पर एनटीपीसी ने केंद्र सरकार से इस समझौते को लागू करने के लिए आग्रह किया था. हालांकि इस समझौते को बहुत जरूरत पड़ने पर ही लागू किया जाता है क्योंकि इससे केंद्र व राज्यों के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं.
इस तरह एनटीपीसी को होगा बकाए का भुगतान
टीपीए के तहत आरबीआई, केंद्रीय पॉवर मिनिस्ट्री के जरिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार/यूनियन टेरीटरी सरकार समझौते से जु़ड़ी है. इस समझौते को लागू करने के बाद केंद्रीय बैंक आरबीआई बिजली कंपनियों के ओवरड्यू के बराबर की राशि राज्य/यूनियन टेरीटरी सरकार के खाते से काटी जाएगी और फिर इसे सीधे बिजली बनाने वाली कंपनियों एनटीपीसी को भुगतान कर दिया जाएगा. आरबीआई इन खातों का कस्टोडियन है जिसमें केंद्र सरकार द्वारा टैक्स हस्तांतरण की राशि जमा होती है.
इतनी राशि है ओवरड्यू
अगस्त के अंत में झारखंड का ओवरड्यू 3292 करोड़ रुपये, कर्नाटक का 5240 करोड़ रुपये और तमिलनाडु का ओवरड्यू 21555 करोड़ रुपये का था. झारखंड के मामले में 45 दिन या इससे अधिक के रुके हुए पेमेंट यानी 1126 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए यह समझौता लागू किया गया है. कर्नाटक से 1540 करोड़ रुपये और तमिलनाडु से 2458 करोड़ रुपये की रिकवरी करनी है. अगस्त में टीपीए के जरिए पहले ही झारखंड से 714 करोड़ रुपये की रिकवरी की जा चुकी है.
(Article: Anupam Chatterjee)