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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी मिल सकता है पेंशन का तोहफा, सरकार कर रही विचार

सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को पेंशन योजना के दायरे में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को पेंशन योजना के दायरे में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है.

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PTI
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government may bring anganwadi workers and assistants under the ambit of pension scheme

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सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को पेंशन योजना के दायरे में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी. मूल रूप से यह पेंशन योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन देने के लिए बनाई गई थी लेकिन अब इसके दायरे में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को भी शामिल करने की सरकार की योजना है.

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संसद में हाल ही में पेश लोक लेखा समिति की एक रिपोर्ट में मंत्रालय के हवाले से कहा गया है, ‘‘असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन देने के लिए एक योजना शुरू की जाएगी, जो मूल रूप से भवन निर्माण कार्य में लगे श्रमिकों के लिए है. लेकिन हम इसमें आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायकों को भी शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं. इस संबंध में हमने हाल ही में एक फाइल वित्त विभाग को भेजी है.’’

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायकों के लिए दो बीमा योजनाएं

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायकों के लिए दो प्रकार की बीमा योजनाएं शुरू की गई हैं. इसमें एक जीवन बीमा और दूसरा दुर्घटना बीमा है. इसके सम्पूर्ण प्रीमियम का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है. गौरतलब है कि जुलाई 2019 में तत्कालीन केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी की ओर से दी गई एक जानकारी में बताया गया था कि देश के सभी राज्यों में जून 2019 तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के कुल 13,99,697 पद स्वीकृत थे. इसके सापेक्ष 13,02,617 पदों पर कार्यकर्ता तैनात हैं.

क्रेच की दिशा में ज्यादा सफलता नहीं

केंद्र की प्रस्तावित पेंशन योजना से बड़े पैमाने पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायकों को फायदा होगा. आंगनवाड़ी केंद्रों में शिशु गृहों (क्रेच) के निर्माण के बारे में समिति के सवाल के जवाब में मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने बताया कि शहरी क्षेत्र में 25 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों में क्रेच का निर्माण किया जाना है लेकिन इस संबंध में हमने ज्यादा सफलता प्राप्त नहीं की है. अपने मानदंडों के अनुरूप 5 फीसदी आंगनवाड़ी केंद्रों को क्रेच के रूप में विकसित करने की कोशिश भी की थी लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने समिति को बताया, ‘‘अब हमने शहरी विकास मंत्रालय के सहयोग से एक कार्यक्रम तैयार किया है और इसके लिए वित्त मंत्रालय के पास जा रहे हैं. हम शहरी क्षेत्रों में क्रेच सुविधा के लिए 25 हजार आंगनवाड़ी केंद्रों को लेने जा रहे हैं. हम इस पर बहुत गंभीरता से काम कर रहे हैं. हमें बहुत जल्दी सफलता मिलने की उम्मीद है.’’

घट गया आंगनवाड़ी केंद्र के लिए फंड

शहरी झुग्गी बस्तियों में आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण के बारे में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने लोक लेखा समिति को बताया, ‘इस संबंध में समस्या इसलिए पैदा होती है कि 10 फीसदी आंगनवाड़ी केंद्र शहरी क्षेत्रों में हैं जहां झुग्गी बस्तियां बन गई हैं. हमारे पास उनके लिए कोई फंड नहीं है. हम शहरी विकास मंत्रालय के साथ समन्वय की कोशिश कर रहे हैं.’

मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने समिति को बताया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पहले प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र के निर्माण के लिए दो लाख रूपये की राशि दे रहा था. वित्त मंत्रालय ने इसे घटाकर एक लाख रुपये कर दिया है और उसे भी प्रतिपूर्ति के आधार पर कर दिया है. इसलिए राज्य सरकार अपनी ओर से कोई अतिरिक्त राशि नहीं दे पा रही हैं. रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने कहा, ‘‘शीघ्र ही हम व्यय वित्त समिति के पास जाएंगे और उनसे मूल योजना वापस लाने का अनुरोध करेंगे. हम दो लाख रुपये की मूल राशि बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं.’’