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Small Companies Definition: सरकार ने बदली छोटी कंपनियों की परिभाषा, बढ़ेगा दायरा, होंगे ये बड़े फायदे

small companies definition: सरकार ने छोटी कंपनियों के लिए के लिए पेड-अप कैपिटल और कारोबार सीमा में संशोधन किया है और सीमाएं बढ़ा दी हैं. अब और कंपनियां इसके दायरे में आएंगी.

small companies definition: सरकार ने छोटी कंपनियों के लिए के लिए पेड-अप कैपिटल और कारोबार सीमा में संशोधन किया है और सीमाएं बढ़ा दी हैं. अब और कंपनियां इसके दायरे में आएंगी.

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FE Hindi Desk
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Small Companies Definition: सरकार ने बदली छोटी कंपनियों की परिभाषा, बढ़ेगा दायरा, होंगे ये बड़े फायदे

सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा को बदल कर कारोबार की सीमाओं को बढ़ा दिया है.

Ease of Doing Business: सरकार ने छोटी कंपनियों की परिभाषा को बदल कर कारोबार की सीमाओं को बढ़ा दिया है. इससे अब कई और कंपनियां भी छोटी कंपनियों के दायरे में आएंगी. इससे उन्हें कई तरह के नियमों में राहत मिलेगी और काम करने में आसानी होगी. सरकार ने आज छोटी कंपनियों के लिए के लिए पेड-अप कैपिटल और कारोबार सीमा में संशोधन किया है और सीमाएं बढ़ा दी हैं. जिससे अब और कंपनियां इसके दायरे में आ सकेंगी और उनका अनुपालन बोझ कम हो जाएगा.

नियमों में मिलती है छूट

बता दें कि छोटी कंपनियों को कई नियमों में छूट मिलती है. नई सीमा के बाद कई और कंपनियों को इस छूट का लाभ मिलेगा. सरकार काफी समय से कारोबारी सुगमता पर जोर बढ़ा रही है. परिभाषा में बदलाव इसी दिशा में उठाया गया कदम है. कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कारोबार करने में सुगमता को और बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह बदलाव किया है.

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नियमों में हुआ ये बदलाव

कुछ नियमों में संशोधन करते हुए छोटी कंपनियों के लिए चुकता पूंजी की सीमा को मौजूदा “2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बढ़ाकर “4 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है. वहीं कारोबार को “20 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” से बदलकर “40 करोड़ रुपये से अधिक नहीं” कर दिया गया है. नई परिभाषा आने से अब अधिक संख्या में कंपनियां ‘छोटी कंपनी’ की श्रेणी में आ जाएंगी.

इस कटेगिरी में क्‍या हैं बेनेफिट

मंत्रालय के मुताबिक छोटी कंपनियों को वित्तीय लेखा-जोखा के अंग के रूप में नकदी प्रवाह का लेखा-जोखा तैयार करने की जरूरत नहीं होती है.उन्हें लेखा परीक्षक के अनिवार्य रोटेशन की जरूरत भी नहीं होती है. सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार छोटी कंपनी के लेखा-परीक्षक के लिए जरूरी नहीं रहा कि वह आंतरिक वित्तीय नियंत्रणों के औचित्य पर रिपोर्ट तथा अपनी रिपोर्ट में वित्तीय नियंत्रण की संचालन क्षमता प्रस्तुत करे. इसके अलावा इस श्रेणी की कंपनियों के निदेशक मंडल की बैठक वर्ष में केवल दो बार की जा सकती है.

जुर्माना राशि भी कम

‘छोटी कंपनी’ श्रेणी की इकाइयों को मिलने वाले अन्य लाभ यह हैं कि कंपनी के वार्षिक रिटर्न पर कंपनी सेक्रटेरी हस्ताक्षर कर सकता है. कंपनी सेक्रेटरी के न होने पर कंपनी का निदेशक हस्ताक्षर कर सकता है. इसके अलावा छोटी कंपनियों के लिए जुर्माना राशि भी कम होती है. हाल के समय में सरकार ने व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं. इनमें कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के विभिन्न प्रावधानों को अपराध के वर्ग से निकालना शामिल हैं.

Government Of India Companies Act