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EMI मोरेटोरियम: कर्ज पर माफी; लोन धारकों को कैसे होगा फायदा, सरकार के लिए क्या है मायने?

Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम लेने वालों के लिए राहत की खबर यह है कि बैंक लोन मोरेटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे.

Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम लेने वालों के लिए राहत की खबर यह है कि बैंक लोन मोरेटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे.

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RBI Loan Moratorium

Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम लेने वालों के लिए राहत की खबर यह है कि बैंक लोन मोरेटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे.

Loan Moratorium: लोन मोरेटोरियम लेने वालों के लिए राहत की खबर यह है कि बैंक लोन मोरेटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे. यह जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मोरेटोरियम अवधि (मार्च से अगस्त तक) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार है. यह राहत 2 करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है. इसमें MSME, एजुकेशन, हाउसिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, ऑटो, क्रेडिट कार्ड बकाया, कारोबार और उपभोग के लिए लिए गए कर्ज शामिल होंगे. इसके अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी ये ब्याज वसूली नहीं की जाएगी.

अभी तक कितनी बढ़ रही थी किस्त

3 महीने के विकल्प पर

इसे ऐसे समझ सकते हैं कि मान लें कि आपने करीब 28.5 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए लिया है. इस पर ब्याज दर 8 फीसदी के आस पास है. मोरेटोरियम के पहले मंथली बनने वाली ईएमआई 25000 रुपये के करीब थी. वहीं मोरेटोरियम के पहले आप 12 किस्त चुका चुके हैं और 228 किस्तें बाकी हैं. अगर आपने पहले 3 महीने के लिए मोरेटोरियम का विकल्प चुना था तो यह ईएमआई मोरेटोरियम के बाद बढ़कर 25478 रुपये हो गई. यानी आपको अतिरिक्त 58 हजार रुपये के आस पास देना होगा.

6 महीने के विकल्प पर

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वहीं, अगर आपने 6 महीने का और विकल्प चुना तो अगस्त 2020 के बाद आपकी मंथली बनने वाली ईएमआई बढ़कर 26007 रुपये हो जाएगी. इस तरह से आपको कुल अतिरिक्त 1.04 लाख रुपये चुकाने होंगे. यहां दोनों कंडीशन में आपकी ईएमआई की बची अवधि 228 ही रहेगी. यानी इस विकल्प में मोरेटोरियम अवधि में जो भी ब्याज बनता है, उसे लोन की बाकी रकम में जोड़ दिया जाएगा. और उसे बची हुई ईएमआई में बराबर से बांट दिया जाए.

नोट: यह उदाहरण एचडीएफसी लिमिटेड द्वारा मोरेटोरियम के दौरान दिए गए विकल्प पर आधारित है.

क्या थे अन्य विकल्प

एक और विकल्प यह था कि मोरेटोरियम पीरियड में किस्त नहीं देने पर जो ब्याज बनता है, अगस्त में उसका एक मुश्त भुगतान किया जाए. एक और विकल्प था कि ईएमआई को न बदला जाए लेकिन लोन की अवधि बढ़ा दी जाए. इस कंडीशन में आप पर 10 ईएमआई का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा. अंतिम विकल्प था कि आप पहले की तरह सामान्य तौर पर ईएमआई कटने दें.

ब्याज पर ब्याज देने से राहत के बाद क्या होगा

केंद्र सरकार की ओर से दी गई इस राहत का मतलब अब यह हुआ कि लोन मोरेटोरियम का लाभ ले रहे लोगों को अब सिर्फ लोन का सामान्य ब्याज देंगे. यानी कि अगर आपने 3 महीने का मोरेटोरियम लिया है तो पहले की तरह हर महीने 25000 रुपये के आस पास ईएमआई देते आगे रहेंगे. जिन 3 महीनों का आपने विकल्प लिया था, वे 3 ईएमआई आगे बढ़ जाएंगी. यह नियम 6 महीने के मोरेटोरियम पर भी होगा. 6 सामान्य ईएमआई बढ़ जाएंगी. यानी आपको अतिरिक्त ब्याज या अतिरिक्त ईएमआई नहीं देनी होगी.

सरकार के लिए क्या है मायने

इस हलफनामें में सरकार ने कहा है कि कर्ज माफी का यह भार सरकार अपने ऊपर न लेकर बैंकों पर छोड़ देती तो बैंकों पर 6 हजार करोड़ रुपए को बोझ पड़ता. इसका देश के बैंकिंग सिस्टम पर बहुत ही बुरा असर होता. इस स्थिति में ब्याज की छूट का भार सरकार वहन करे केवल यही समाधान है. अगर इसकी ये जिम्मेदारी बैंको पर छोड़ दी जाती है तो इससे उनके नेटवर्थ का बड़ा हिस्सा साफ हो जाएगा और तमाम बैंकों लिए मुश्किल हाक जाएगी. यानी अब ये भार सरकार को सहना होगा.

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