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Government of India will fact-check news on social media: भारत सरकार से जुड़ी सोशल मीडिया और प्रसारित होने वाली सभी सूचनाओं का फैक्ट-चेक अब सरकार करेगी.
Government of India will fact-check news on social media: केंद्र से जुड़ी सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली सभी सूचनाओं का फैक्ट-चेक अब सरकार करेगी. सरकार ने इन्फॉर्मेशन और टेक्नोलॉजी नियमों में बदलाव किया है, जिसके बाद अब इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (Meity) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रहे भ्रामक और गलत सूचनाओं पर नजर रखने के लिए एक फैक्ट-चेक बॉडी बनाएगा. अगर कोई प्लेटफार्म फेक न्यूज को उचित समय से नहीं हटाता है तो उसपर कानूनी कार्यवाई भी सकती है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर हो सकती है कार्यवाई
अगर कोई मीडियेटर (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) सरकार से संबंधित किसी भी सामग्री को हटाने या ब्लॉक करने में विफल रहता है, जिसे Meity द्वारा फेक के रूप में मार्क किया गया है तो उसपर कार्यवाई भी होगी. अभी तक सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आईटी एक्ट की धारा 79 के तरह सेफ थे लेकिन अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मुश्किलों में फंस सकते हैं और उनके ऊपर कानूनी कार्यवाई भी हो सकती है. आईटी एक्ट 2000 की धारा 79 के तहत, बिचौलियों को उनके प्लेटफार्मों पर कंटेंट के लिए किसी भी कानूनी दायित्व से सुरक्षित किया जाता है. क्योंकि प्लेटफॉर्म एक थर्ड पार्टी है जहां लोग अपने विचार शेयर करते हैं.
सरकार का क्या है कहना?
सरकार ने भीइस मामले पर बयान दिया है. सरकार का कहना है कि कुछ लोग मानेंगे कि इससे लोगों की आवाज को सेंसर किया जा सकता है लेकिन ऐसा नहीं है. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि हम जो कह रहे हैं वह यह है कि अगर कोई पीड़ित पक्ष है और कोई ऐसी पार्टी है जिसने भड़काऊ कंटेंट डाले है तो वह धारा 79 के तहत सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर इसके बावजूद भी कोई फेक कंटेंट डिलीट नहीं करता है तो उसे कानूनी परिणामों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा. आईटी नियमों में यह बदलाव सरकार द्वारा जनवरी में एक मसौदा जारी किए जाने के बाद आया है.
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इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इसे बताया असंवैधानिक
आईटी एक्ट के धारा 3(1) (बी) (v) के तहत जो बदलाव किए गए हैं उसके अनुसार सरकार ने अब अपने पहले के मसौदे से पीआईबी और फैक्ट चेक यूनिट को हटा दिया है. केंद्रीय मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि हम इन फैक्ट चेकिंग यूनिट्स के लिए कुछ जवाबदेही भी बनाएंगे, चाहे वह सरकारी फैक्ट चेकर हो, चाहे प्राइवेट फैक्ट चेकिंग यूनिट हो. इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इस कदम को असंवैधानिक बताया है. एक बयान में कहा गया है, "सरकार की किसी भी यूनिट को इस तरह की मनमानी, ऑनलाइन कंटेंट की प्रामाणिकता तय करने का अधिकार देना असंवैधानिक है."