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गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की 42वीं बैठक
1 जनवरी से ऐसे टैक्सपेयर जिनका सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें मंथली रिटर्न जैसे GSTR 3B और GSTR1 फाइल करने की जरूरत नहीं होगी. उन्हें केवल क्वार्टरली रिटर्न फाइल करना होगा. हालांकि हर माह चालान के जरिए पेमेंट करना होगा. यह फैसला गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की 42वीं बैठक में लिया गया है. बैठक के बाद वित्त सचिव अजय भूषण पांडे ने प्रेस कांफ्रेंस में इस बात की जानकारी दी.
हालांकि पूरे दिन चली बैठक के बावजूद केन्द्र व सभी राज्यों में जीएसटी क्षतिपूर्ति के मुद्दे पर केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए विकल्पों पर सहमति नहीं बन सकी. इस मुद्दे को अब अगली जीएसटी काउंसिल बैठक में सुलझाने की कोशिश की जाएगी. अगली बैठक 12 अक्टूबर को होगी.
जीएसटी परिषद ने जून 2022 के बाद भी क्षतिपूर्ति उपकर जारी रखने का निर्णय किया है. जीएसटी काउंसिल के अन्य फैसलों में से एक यह भी रहा कि अब राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के तहत उपलब्ध कराए गए दो विकल्पों में से पहले के तहत 97000 करोड़ की जगह 1.1 लाख करोड़ रुपये उधार के तौर पर मुहैया कराए जाएंगे.
क्या हैं दो विकल्प
विगत 27 अगस्त को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में चालू वित्त वर्ष में जीएसटी रेवेन्यू में 2.35 लाख करोड़ रुपये के शॉर्टफॉल का अनुमान जताया गया था. इस रेवेन्यू में गिरावट की भरपाई के लिए केंद्र ने दो विकल्प दिए थे. पहले विकल्प के तहत राज्य आरबीआई से विशेष विंडो के तहत 97 हजार करोड़ रुपये कर्ज ले सकते हैं. दूसरे विकल्प के तहत केंद्र 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से उधार लेकर राज्यों की दे. वित्त मंत्री ने यह भी कहा है कि ऐसा नहीं है कि जो राज्य केन्द्र द्वारा दिए गए दो विकल्पों मं से किसी को भी नहीं चुनते हैं, वे खाली हाथ रह जाएंगे. उनके लिए भी समाधान ढूंढ़ा जाएगा.
IGST बकाया
कांफ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस साल आया कंपंजेशन सेस 20000 करोड़ रुपये है. इसे सोमवार रात को ही राज्यों को वितरित किया जाएगा. इसके अलावा अगले सप्ताह के आखिर तक उन राज्यों को 24000 करोड़ रुपये का IGST बकाया जारी किया जाएगा, जिन्हें पहले कम मिला है. बाकी राज्यों को एक्स्ट्रा फंड बाद में दिया जाएगा.
बड़े टैक्सपेयर्स पर बढ़ा अनुपालन बोझ
दूसरी ओर बड़े टैक्सपेयर्स के मामले में फैसला किया गया कि उन्हें 1 अप्रैल से बिजनेस टू बिजनेस ट्रांजेक्शंस के लिए मैक्सिमम 6 डिजिट का HSN कोड देना होगा. वहीं स्मॉल टैक्सपेयर्स को मैक्सिमम 4 डिजिट तक का HSN कोड उपलब्ध कराना होगा. यह भी फैसला किया गया है कि 1 जनवरी 2021 से रिफंड पैन व आधार डिटेल्स द्वारा वैलिडेट बैंक अकाउंट में ही आएगा.
क्षतिपूर्ति मुद्दे पर विकल्पों के विरोध में ये राज्य
जानकारी के मुताबिक, 21 राज्यों ने 97 हजार करोड़ रुपये उधार लेने पर सहमति जता दी है. इसमें से अधिकांश राज्यों में बीजेपी या उसके सहयोगियों की सरकार है. वहीं गैर-बीजेपी राज्य इस विकल्प का विरोध कर रहे हैं. गैर-भाजपा शासित राज्य जीएसटी राजस्व में कमी को लेकर केंद्र सरकार के साथ आमने-सामने हो गये हैं. ऐसे छह राज्यों पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के द्वारा पेश विकल्प का विरोध करते हुए पत्र लिखा है. ये राज्य चाहते हैं कि जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये केंद्र सरकार कर्ज ले, जबकि केंद्र सरकार का तर्क है कि वह उन करों के एवज में कर्ज नहीं उठा सकती है, जो उसके खाते के नहीं हैं.
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की 42वीं बैठक
सेस की राशि इस्तेमाल कर चुकी है सरकार
अगस्त 2019 से सेस में कमी में गिरावट आने के बाद से राज्यों को क्षतिपूर्ति के भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं. केंद्र सरकार को इसके बाद क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिए 2017-18 और 2018-19 में जमा उपकर की राशि का इस्तेमाल करना पड़ा है. केंद्र सरकार ने 2019-20 के लिये क्षतिपूर्ति के तौर पर 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किए हैं, जबकि इस दौरान सेस कलेक्शन महज 95,444 करोड़ रुपये रहा है. इससे पहले 2017-18 और 2018-19 में क्षतिपूर्ति की राशि क्रमश: 41,146 करोड़ रुपये और 69,275 करोड़ रुपये रही है.