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चालू वित्त वर्ष में जीएसटी क्षतिपूर्ति राजस्व में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी रहने का अनुमान है.
राज्यों को GST क्षतिपूर्ति मुद्दे को लेकर सोमवार को हुई गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) काउंसिल की बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही. क्षतिपूर्ति पर केन्द्र द्वारा उपलब्ध कराए गए दो विकल्पों पर रात तक चली बैठक में सभी राज्य एकमत नहीं हुए. बता दें कि आज की बैठक 5 अक्टूबर को हुई जीएसटी काउंसिल की 42वीं बैठक का ​ही हिस्सा थी. 42वीं बैठक में भी जीएसटी क्षतिपूर्ति मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाने के ​चलते इसी बैठक को 12 अक्टूबर को आगे बढ़ाने का फैसला किया गया था. काउंसिल ने लगातार तीसरी बार जीएसटी राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति को लेकर चर्चा की है.
विपक्षी पार्टियों की ओर से शासित कुछ राज्य यह सुझाव दे रहे हैं कि इस मामले में आम सहमति बनाने के लिये मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए. हालांकि कर्ज लेने के केन्द्र द्वारा दिए गए विकल्प पर बीजेपी शासित राज्य पहले ही सहमत हो चुके हैं और इनका मानना है कि उन्हें अब कर्ज लेने की दिशा में आगे बढ़ने की मंजूरी दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें शीघ्र धन उपलब्ध हो सके.
बॉरोइंग से ही जीएसटी में कमी की भरपाई संभव
बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैठक में बॉरोइंग, सेस के विस्तार आदि मुद्दों पर चर्चा की गई. लेकिन जीएसटी क्षतिपूर्ति मुद्दे पर सहमति आज भी नहीं बन पाई. उन्होंने कहा कि सेस का कलेक्शन क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं है. यह सभी स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और क्योंकि यह ऐसी चीज है, जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की गई थी इसलिए जीएसटी में कमी की अब बॉरोइंग से ही भरपाई हो सकेगी.
सीतारमण ने कहा कि केन्द्र ने एक बॉरोइंग कैलेंडर जारी किया है. अगर अब केन्द्र और उधार लेता है तो इससे राज्यों व प्राइवेट सेक्टर दोनों के लिए बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ जाएगी. बढ़ी हुई बॉरोइंग कॉस्ट को ऐसे समय में झेला नहीं जा सकता, जब भारत कारोबार के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे का निवेश होने और उधार लेने की ओर देख रहा है. अगर राज्य उधार लेते हैं तो प्रभाव उतना गंभीर नहीं होगा.
वित्त मंत्री ने बताया कि राज्यों ने कुछ विशेष स्पष्टीकरणों की मांग की थी, जिन्हें दिया गया. कई स्पष्टीकरण बॉरोइंग पर अटॉर्नी जनरल के मत, सेस कलेक्शन की अवधि को बढ़ाए जाने के जीएसटी काउंसिल के अधिकार को लेकर थे.
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क्षतिपूर्ति राजस्व 2.35 लाख करोड़ की कमी का अनुमान
चालू वित्त वर्ष में जीएसटी क्षतिपूर्ति राजस्व में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी रहने का अनुमान है. केंद्र सरकार ने अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिया है. पहले विकल्प के तहत रिजर्व बैंक के द्वारा 97 हजार करोड़ रुपये के कर्ज के लिये विशेष सुविधा दिये जाने, और दूसरे विकल्प के तहत पूरे 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से जुटाने का प्रस्ताव है. कुछ राज्यों की मांग के बाद पहले विकल्प के तहत उधार की विशेष कर्ज व्यवस्था को 97 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है. केंद्र सरकार का कहना है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति राजस्व में अनुमानित कमी में महज 97 हजार करोड़ रुपये के लिए जीएसटी क्रियान्वयन जिम्मेदार है, जबकि शेष कमी का कारण कोरोना वायरस महामारी है.