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GST स्लैब में हो सकता है बड़ा बदलाव, 5% को हटाकर कुछ प्रोडक्ट्स को 3% और 8% में किया जा सकता है शामिल

सूत्रों का कहना है कि 5 फीसदी के टैक्स स्लैब को समाप्त किया जा सकता है और कुछ अधिक खपत वाले प्रोडक्ट्स को 3% और शेष को 8% के स्लैब में डाला जा सकता है.

सूत्रों का कहना है कि 5 फीसदी के टैक्स स्लैब को समाप्त किया जा सकता है और कुछ अधिक खपत वाले प्रोडक्ट्स को 3% और शेष को 8% के स्लैब में डाला जा सकता है.

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GST Council may do away with 5% rate

GST काउंसिल की अगले महीने होने वाली बैठक में 5 फीसदी के टैक्स स्लैब को समाप्त किया जा सकता है.

Goods and Service Tax: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) काउंसिल की अगले महीने होने वाली बैठक में 5 फीसदी के टैक्स स्लैब को समाप्त किया जा सकता है. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इसकी जगह पर कुछ अधिक खपत वाले प्रोडक्ट्स को 3 फीसदी और शेष को 8 फीसदी के स्लैब में डाला जा सकता है. फिलहाल जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार टैक्स स्लैब हैं. इसके अलावा, गोल्ड और गोल्ड ज्वेलरी पर 3 फीसदी टैक्स लगता है. इसके अलावा, कुछ अनब्रांडेड और अनपैक्ड फूड आइटम्स हैं जिनपर जीएसटी नहीं लगता है. सूत्रों का कहना है कि राजस्व बढ़ाने के लिए काउंसिल कुछ नॉन-फूड आइटम्स को 3 फीसदी स्लैब में लाकर कर छूट प्राप्त वस्तुओं की लिस्ट में कटौती का निर्णय ले सकती है.

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5 फीसदी स्लैब में की जा सकती है बढ़ोतरी

सूत्रों ने कहा कि 5 फीसदी स्लैब को बढ़ाकर 7 या 8 या 9 प्रतिशत करने की चर्चा चल रही है. इस पर आखिरी निर्णय जीएसटी काउंसिल द्वारा लिया जाएगा. केंद्रीय वित्त मंत्री की अगुवाई वाली जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं. कैलकुलेशन के अनुसार, 5 प्रतिशत स्लैब में प्रत्येक एक प्रतिशत की वृद्धि (जिसमें मुख्य रूप से पैकेज्ड फूड प्रोडक्ट्स शामिल हैं) से मोटे तौर पर सालाना 50,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा.

हालांकि, अलग-अलग विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन माना जा रहा है कि काउंसिल में अधिकांश वस्तुओं के लिए 8 प्रतिशत जीएसटी पर सहमति बनने की उम्मीद है. फिलहाल इन उत्पादों पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत है. जीएसटी के तहत आवश्यक वस्तुओं पर या तो सबसे कम कर लगाया जाता है या उन्हें कर से पूरी छूट मिलती है. वहीं लग्जरी वस्तुओं पर सबसे अधिक कर लगता है. इन पर 28 प्रतिशत टैक्स के साथ सेस भी लगता है. इस सेस कलेक्शन का इस्तेमाल राज्यों को जीएसटी को लागू करने से राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है.

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GST कंपनसेशन व्यवस्था जून में हो जाएगी समाप्त

जून में जीएसटी कंपनसेशन व्यवस्था समाप्त होने जा रही है, ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि राज्य आत्मनिर्भर बनें और जीएसटी कलेक्शन में राजस्व अंतर की भरपाई के लिए केंद्र पर निर्भर नहीं रहें. काउंसिल ने पिछले साल कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता में राज्यों के मंत्रियों की एक समिति गठित की थी, जो टैक्स स्ट्रक्चर की कमियों को दूर करके राजस्व बढ़ाने के तरीके सुझाएगी. यह समिति अगले महीने की शुरुआत में अपनी सिफारिशें दे सकता है. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक मई के मध्य में होने की संभावना है, जिसमें समिति की सिफारिशों को रखा जा सकता है.

(इनपुट-पीटीआई)

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